अटरिया, वृक्ष विहीन होता जा रहा अटरिया क्षेत्र रेंजर के संरक्षण में लकड़कट्टे काट रहे प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़

संवाददाता, नरेश गुप्ता

  • खेरवा मजरा कठवा राजाराम गौतम के प्रतिबंधित शीशम के पेड़ों का हुआ कटन
  • पुलिस से बेखौफ होकर काटे जा रहे शीशम के पेड़ कठवा ग्राम पंचायत में हुआ पेड़ों का कटान
  • क्या क्षेत्रीय वन अधिकारी रामसेवक वर्मा के सानिध्य मे हो रहे प्रतिबंधित पेड़ों के कटान

संवाद सूत्र, अटरिया सीतापुर : जनपद की सिधौली ब्लॉक में इन दिनों महंगे व प्रतिबंधित पेड़ों का कटान पुलिस व वन विभाग की नाक के नीचे किया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोग बेधड़क होकर शीशम, नीम, आम आदि पेड़ों का कटान कर रहे हैं। निगहबान जानकारी दिए जाने के बाद भी अनदेखी व अनसुनी कर रहे हैं।

देश पर्यावरण दिवस मनाकर पौधारोपण से प्रदूषण संतुलित करने का संदेश दे चुका है। वहीं जिम्मेदारों की साठगांठ से क्षेत्र में प्रतिबंधित हरे पेड़ जैसे शीशम, आम, नीम जैसे पेड़ों पर वन माफिया खुलेआम कटान करा रहे हैं। जिम्मेदारों के नाक के नीचे चल रहा अवैध कटान क्षेत्रवासियों में एक चर्चा का विषय बना हुआ है। कठवा ग्रामपंचायत में सीसम के पेड़ काटे गए। काटने वाले इतने शातिर हैं कि उनका वाहन तैयार खड़ा रहता है। पेड़ कटते ही लादकर सारा मलबा गायब कर देते हैं। सिर्फ जड़ वहां दिखाई देती है। रविवार को कठवा क्षेत्र के खेरवा मजरा कठवा निवासी राजाराम गौतम द्वारा गाँव के बाहर नरेश चौधरी के खेत सटे खेत में शीशम के पेड़ कट रहे थे । वन विभाग के अधिकारी रामसेवक वर्मा को दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश कई बार की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। पुलिस ने बताया कि इस संदर्भ में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। अगर हरे पेड़ों का कटान हो रहा है तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

  • वृक्ष विहीन होता जा रहा अटरिया क्षेत्र रेंजर के संरक्षण में लकड़कट्टे काट रहे प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़

रेंज अधिकारी अटरिया के संरक्षण में लकड़कट्टे लगातार प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ों को धड़ल्ले से रात दिन काट रहे हैं। इतना ही नहीं सैकड़ो सरकारी पेड़ भी वन विभाग द्वारा चोरों की मिली भगत से कटवाकर बंदरबाट किया गया और तो और आला अधिकारियों के संरक्षण में बड़े पैमाने पर गाँव में हो रही अवैध प्लाटिंग के बहुचर्चित भूखंड के आड़े आए पेड़ भी वन रेंजर की मिली भगत से काटे जाने की जानकारी मिली है।
सूत्र बताते हैं कि वन रेंज अधिकारी रामसेवक वर्मा जहां लकड़कट्टो से मिलकर बड़े पैमाने पर अवैध रूप से हरे हरे पेड़ कटवा रहे हैं वहीं उनके द्वारा अपने खासमखास लोगों के जरिए चोर किस्म के लकड़कट्टो से सांठ-गांठ करके सैकड़ो वेशकीमती पेड़ों को कटवाया जा चुका है। जिसकी लकड़ी चोरी चुपके कहां भेजी गई है। इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। हालांकि मालूम हो रहा है सूत्र तो यह भी बताते हैं की सड़क किनारे से लेकर नहर माइनरों पर बर्षों से खड़ी शीशमों एवं अन्य प्रतिबंधित प्रजाति के हरे लहलहाते पेड़ों को कटवाया जा चूका है। इतना ही नहीं थाना क्षेत्र के तमाम पेड़ चोरी से काटे जाने के मामले में भी शक की सुई वन रेंज अधिकारी के एक खास सिपहसालार के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। चुंकि पुलिस भी पेड़ कटान में मोटा कमीशन लेती है इसलिए वह भी लकड़कट्टे चोरों को बचाने का पूरा प्रयास करती है। आखिर यही कारण है कि अभी तक काफी रसूखदार लकड़कट्टों पर पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया, भले उनकी सिफारिश भी अभी हाल ही के चुनाव में रनर रह चुके प्रभावशाली व्यक्तित्व द्वारा की गई थी।

फिलहाल सच्चाई यही है कि फल पट्टी अटरिया क्षेत्र में हजारों फलदार वृक्ष बागान वन विभाग की मिली भगत से काटकर उजाड़ दिए गए। इसमें संदेह नहीं कि इधर जितने भी निजी या सरकारी पेड़ काटे गए या अभी काटे जा रहे हैं। उनमें रेंजर अटरिया सीधे योजनाबद्ध तरीकों से अगुआकार हैं और कागजी खानापूर्ती भर की लीपापोती कर बचाव में वह न जाने कौन कौन से कथानक गढ़ते रहते हैं। फिर भी अभी तक वन विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध किंचित कठोर कार्यवाही जानकारी में नहीं आई है। जिससे निरंतर हरे फलदार एवं औषधिये तथा लहलहारहे तमाम प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ काटे जाने के बाद भी काटे जा रहे हैं।
हैरत यह कि इलाके के हर एक हरे पेड़ पर वन रेंज अधिकारी से लेकर फिल्ड कर्मचारियों की नजर है फिर भी प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ों के कट जाने पर वह सभी कभी परमिट का बहाना कर तो कभी चोरी से कट जाने का बहाना कर और कभी मामला संज्ञान में न होने का बहाना कर खुद को बचाते रहते हैं। हालांकि आला अधिकारियों की जानकारी के बिना कहीं पर कोई कटान नहीं होता। यहां तक कि आला अधिकारीयों की मिलीभगत के बिना न हरे पेड़ को सूखा या रोग ग्रस्त दिखाकर परमिट जारी किया जा सकता और न प्रतिबंधित प्रजाति के पेड़ों को बेखौफ़ काटवाया जा सकता है। फिर भी वन रेंज अधिकारी रामसेवक वर्मा का पक्ष जानने के लिए संवाददाता द्वारा उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि परमिट के अलावा जब भी कहीं कोई पेड़ काटे जाने की जानकारी उन्हें मिलती है तो वह तत्काल मौके पर जाकर जांच करते हैं और नियमानुसार कार्यवाही भी करते हैं। हालांकि चोरी से पेड़ काटे जाने की जानकारी होने से उन्होंने स्पष्ट इंकार किया हालाकि क्षेत्र में अन्य तमाम पेड़ काटे जाने को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं।
इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक अटरिया ने कहा कि सरकारी पेड़ काटे जाने या ऐसी कोई तहरीर दिए जाने की उन्हें जानकारी नहीं है।

कुल मिलाकर इधर वही कहावत चरितार्थ हो रही कि जो बहाना किए ही सो रहा हो उसे फिर बैठ ही जगाना क्या!

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