गोरखपुर, विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में विशेष दंपति को सही सलाह से अंतरा का सर्वाधिक डोज लगवाने में रेखा ने बनाई अलग पहचान

खुद के छोटे परिवार का उदाहरण पेश कर दे रही हैं परिवार नियोजन का संदेश

गोरखपुर, 19 जुलाई 2023

गोला ब्लॉक के बेऊरी गांव की आशा कार्यकर्ता रेखा मिश्रा (56) त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन की एक से अधिक डोज तक सेवा जारी रखने में आने वाली बाधाओं का समुचित परामर्श के जरिये समाधान कर रही हैं । उनके प्रयासों से उनके गांव की महिलाएं त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन की तीन डोज, चार डोज और कुछ महिलाएं तो आठ डोज भी लगवा चुकी हैं । वित्तीय वर्ष 2022-23 में गांव की करीब दस महिलाओं के बीच उन्होंने 39 डोज की सेवा उपलब्ध करवाया जो कि जिले में सबसे अधिक है ।

रेखा लोगों को परिवार नियोजन अपनाने के लिए अपने खुद के छोटे परिवार का उदाहरण पेश करती हैं । साथ ही वह दंपति को अंतरा इंजेक्शन के प्रभावों और लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी देती हैं जिसकी वजह से हार्मोनल बदलाव होने पर दंपति घबराते नहीं हैं । पत्नी को पति का भी पूरा सहयोग मिलता है और संतुष्ट दंपति इस सेवा को जारी रख पाते हैं। अंतरा इंजेक्शन का पहला डोज लगने के बाद जब कुछ महिलाओं को माहवारी सम्बन्धित अनियमितता की दिक्कत होती है तो समय पर सही सलाह न मिले तो लाभार्थी अगला डोज नहीं लेती हैं और यह सबसे बड़ी चुनौती है । रेखा दंपति को पहले से मानसिक तौर पर तैयार कर इस चुनौती को स्वीकार कर रही हैं ।

रेखा मिश्रा ने वर्ष 1993 में ही अपनी नसबंदी करवा ली थी। वर्ष 2005 में उन्होंने आशा कार्यकर्ता के तौर पर कार्य शुरू किया तो खुद का लिया गया निर्णय उनके कार्य में काफी मददगार बना । वह बताती हैं कि उस समय परिवार नियोजन के बारे में बात करने पर सास की तरफ से काफी विरोध किया जाता था, हांलाकि अब हालात में काफी बदलाव आया है । अब दंपति की भूमिका निर्णय लेने में कहीं ज्यादा होती है, सास का विरोध काफी कम देखने को मिलता है । रेखा लक्षित दंपति और कुछ मामलों में सास को बताती हैं कि उन्होंने खुद दो बच्चों के बाद नसबंदी करवाया और बच्चों को अच्छी परवरिश दी, जिसका परिणाम यह रहा कि बिटिया सरकारी नौकरी में है और बेटा भी बड़ी कंपनी में काम करता है । उनका निर्णय उनकी खुशहाली का आधार बना । अंतरा इंजेक्शन की इच्छुक लाभार्थी दंपति को वह पहले ही बता देती हैं कि इससे माहवारी सम्बन्धित कुछ बदलाव आते हैं , लेकिन यह सामान्य प्रभाव है जो दूसरे डोज से खुद ठीक हो जाता है। इस परामर्श से दंपति मानसिक तौर संतुष्ट होकर यह सेवा जारी रख पाता है।

रेखा बताती हैं कि लोग परामर्शदाता के पृष्ठभूमि को देख कर काफी प्रभावित होते हैं और इसी वजह से वह अपने कार्यकाल में 50 से अधिक महिला नसबंदी करवाने में सफल रहीं । इसी बीच वर्ष 2019 में त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन चलन में आया। प्रशिक्षण लेने के बाद जब महिलाओं को यह सेवा दिलवाने लगीं तो भय और भ्रांति की बाधा का सामना करना पड़ा । एक महिला लाभार्थी को तो अंतरा लगने के बाद ब्लीडिंग की दिक्कत हुई। वह उसके साथ गोला सीएचसी गईं और चिकित्सक से परामर्श दिलवाया । लाभार्थी को बताया गया कि अंतरा लगने पर कई बार माहवारी रुकने, कई बार रुक रुक कर आने और ज्यादा खून आने जैसे हार्मोनल बदलाव आते हैं, लेकिन यह दूसरे या तीसरे डोज से खुद ठीक हो जाते हैं। इस परामर्श का असर रहा कि उस लाभार्थी ने तीन से अधिक डोज लिये। रेखा के गांव में इस समय 10-15 महिलाएं ऐसी हैं जो नियमित अंतरा इंजेक्शन ले रही हैं और कुछ ने आठ से अधिक डोज भी लिए हैं । अंतरा के प्रत्येक डोज पर लाभार्थी के खाते में 100 रुपये दिये जाने का प्रावधान है ।

अच्छा विकल्प है इंजेक्शन

बेऊरी गांव की मंतोषी (30) (बदला हुआ नाम) के पति पेशे से मजदूर हैं । उनके दो बच्चे हैं। बड़ा बेटा पांच वर्ष का है । वह आगे बच्चा नहीं चाहती हैं लेकिन परिवार की राय है कि जब दोनों बच्चे बड़े हो जाएं तभी नसबंदी करवानी है । संतोषी बताती हैं कि आशा कार्यकर्ता रेखा ने उन्हें समझाया कि नसबंदी करवाने तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधन भी अपनाएं जा सकते हैं । सभी साधनों के बारे में विस्तार से जानकारी मिली तो त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन का विकल्प सही लगा। रेखा के साथ सीएचसी गोला गईं और वहां परिवार नियोजन काउंसलर विन्ध्यवासिनी से भी परामर्श मिला। चिकित्सकीय जांच हुई और फिर अंतरा इंजेक्शन लगाया गया। पहले डोज में माहवारी न आने की दिक्कत हुई थी लेकिन दूसरे डोज से कोई दिक्कत नहीं है।

इएलए से अधिक उपलब्धि

जिले में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 20852 त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन का इस्टीमेटेड लेवल ऑफ अचीवमेंट (इएलए) था जिसके सापेक्ष 31191 लाभार्थियों ने यह सेवा ली है । इस उपलब्धि में रेखा जैसी आशा कार्यकर्ता, परिवार नियोजन काउंसलर्स, यूपीटीएसयू के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ और पीएसआई इंडिया के प्रतिनिधियों का विशेष सहयोग रहा है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी की देखरेख में सभी स्वास्थ्य इकाइयों तक परिवार नियोजन सेवाएं दी जा रही हैं।

डॉ आशुतोष कुमार दूबे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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