स्वामी जी के जीवन से प्रेरणा ले युवा– ज्ञानेश पाल धनगर
स्वामी जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता–ज्ञानेश पाल धनगर
सिधौली सीतापुर। दिनांक 12/1/2023/दिन बृहस्पतिवार को हमराह एक्स कैडेट एन सी सी सेवा संस्थान के तत्वधान में विकासखंड सिधौली के मुकीमपुर गांव में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद की 160वीं जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में धूमधाम से मनाई गई, संस्थान के सदस्यों ने स्वामी जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके जीवन परिचय पर प्रकाश डाला, संस्थान के सचिव ज्ञानेश पाल धनगर ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था, युगपुरुष वेदांत दर्शन के पुरोधा मानव सेवक, करोड़ों युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की स्मृति के अंतर्गत उनकी जयंती पर समूचे भारत में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वामी जी ने युवाओं को अपना संदेश देते हुए कहा था कि उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए यह संदेश युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन कर उनके जीवन में नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उन्होंने देश के युवाओं को अपने लक्ष्य हेतु अग्रसर होने के लिए जोश व उत्साह की मंजिल का रास्ता दिखाया, और देश के युवाओं को आजाद भारत का सपना दिखाने वाले विवेकानंद जी ने संपूर्ण विश्व में हिंदू धर्म के महत्व का प्रचार प्रसार किया, उन्होंने गरीबों की सेवा के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी की, स्वामी जी की शिक्षा देश की सबसे बड़ी दार्शनिक संपत्तियां हैं, जो सदैव हम सभी को प्रेरित करती रहेंगी और कहां की विवेकानंद जी एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे और उनका देशप्रेम के से छिपा नहीं है। वह लोगों की मदद करने से कभी भी पीछे नहीं हटते थे, बल्कि लोगों की सेवा करने को वह ईश्वर की पूजा करने के बराबर मानते थे. स्वामी विवेकानंद आज भी करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देते हैं. उनके अनमोल विचारों से इंसान काफी कुछ सीख सकता है. इनके विचारों में जीवन जीने की कला और कामयाब होने के सूत्र छिपे हैं। और पाल ने कहा कि आज की वर्तमान परिस्थिति में युवाओं को अपने देश के महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर देश हित, छात्र हित व समाज हित मे कार्य करना चाहिए | जिससे भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की हमारी प्रतिबद्धता का मार्ग प्रशस्त हो सके नारी जागरण पर स्वामी विवेकानंद कहते हैं स्त्रियों की पूजा करके ही सभी राष्ट्र बड़े बने हैं। जिस देश में स्त्रियों की पूजा नहीं होती, वह देश या राष्ट्र कभी बड़ा नहीं बन सका है और भविष्य में कभी बड़ा भी नहीं बन सकेगा। हम देख रहे हैं कि नौ देवियों लक्ष्मी और सरस्वती को मां मानकर पूजने वाले सीता जैसे आदर्श की गाथा घर-घर में गाने वाले यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता को हृदय में बसाने वाले भारत में नारी को यथोचित सम्मान प्राप्त नहीं है। हमारी मानसिकता बदल रही है किंतु उसकी गति बहुत धीमी है, यदि हम देश की तरक्की चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी सोच को बदल कर नारी जागरण और उत्कर्ष पर चिंतन और त्वरित क्रियाशीलता दिखानी भी होगी। ग्रामीण आदिवासी स्त्रियों की वर्तमान दशा में उद्धार करना होगा, आम जनता को जगाना होगा, तभी तो भारत वर्ष का कल्याण होगा। इस मौके
राजपाल ,संगम ,अनीता ,संजय मौर्य, शनि साहू ,आकाश , हर्षवर्धन पाल सुनिल ,कौशल आदि लोग उपस्थित रहे