इटौंजा लखनऊ, ग्राम प्रधानों की मांग है कि शासन की ओर से मनरेगा के लिए जारी नई गाइडलाइन एनएमएमएस प्रणाली को समाप्त कर पुराने गाइडलाइन का पालन हो। 73वें संविधान संशोधन को पूर्ण रुप से लागू किया जाए। जिससे ग्राम पंचायतें मजबूत, स्वतंत्र, स्वावलंबी व गतिशील हो सकें। प्रधानों के मानदेय की जगह वेतन भत्ता और पेंशन चाहिए। इसके लिए अलग बजट का प्रावधान हो। प्रधानों का उत्पीड़न और जांच के नाम पर धन उगाही बंद की जाए। पंचायत सहायक और सामुदायिक शौचालय के लिए रखे जाने वाले स्वयं सहायता समूह के मानदेय के लिए अलग से बजट उपलब्ध कराया जाए।
इसी क्रम में बीकेटी खंड विकास परिसर में आज प्रधान संघ के अध्यक्ष बीकेटी आदर्श कुमार सिंह के अध्यक्षता में प्रधानों ने उत्तर प्रदेश में मनरेगा का वित्त एवं प्रशासनिक अधिकार व एनएमएस के माध्यम से मजदूरों की उपस्थित अनिवार्यता को समाप्त किया जाए इसके विरोध में बीकेटी के प्रधानों ने धरना और प्रदर्शन किया
प्रधान संघ बीकेटी के अध्यक्ष ने बताया कि मनरेगा के तहत दोनों समय की फोटो मजदूर की भेजना शासन ने 1 जनवरी 23 से अनिवार्य कर दी है इसे शीघ्र ही शासन समाप्त कर दे इसके अलावा एक मजदूर को 200 दिनों का रोजगार दिया जाए तथा ₹400 प्रतिदिन की मजदूरी की जाए ग्राम पंचायत में संविदा कर्मियों का भुगतान अलग से किया जाए तथा अन्य मांगों को लेकर प्रधानों ने आज जोरदार प्रदर्शन किया इसके अलावा उन्होंने शासन से यह भी मांग की पशु आश्रय केंद्र में प्रत्येक पशु का आहार ₹30 प्रतिदिन से बढ़ाकर ₹60 प्रतिदिन किया जाए इस अवसर पर प्रधान संघ के अध्यक्ष ने कहा यदि हमारी मांगे शासन ने ना मानी तो समस्त प्रधान मुख्यमंत्री के यहां धरना प्रदर्शन करेंगे अंत में प्रधानों ने अपना ज्ञापन खंड विकास अधिकारी बीकेटी संजीव गुप्ता को सौंपा प्रधानों को आश्वासन दिया कि आपकी समस्त मांगे शासन को तत्काल भेज दी जाएगी इस अवसर पर प्रधान संघ के उपाध्यक्ष विनीत कुमार रावत पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष शहजाद अहमद अमित गुप्ता आशिक आजाद अंसारी राम विलास अनुज तथा अन्य प्रधानों ने अपने विचार व्यक्त किए
(जाने क्या है NMS और क्यू मनरेगा मजदूरों के लिए 1 जनवरी से ऑनलाइन अटेंडेंस,हुई अनिवार्य)
मनरेगा मजदूरों के लिए बड़ी खबर है. यदि आप नही जानते है तो हम आपको बताने वाले है कि मनरेगा मजदूरों के लिए केंद्र सरकार ने नए साल से बड़े बदलाव का ऐलान किया है. 1 जनवरी से मनरेगा मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी होगी, यह नियम पूरे देश के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. 1 जनवरी 2023 से महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लायमेंट गारंटी स्कीम (MGREGS) के जरिए डिजिटल अटेंडेंस को पूरे देश भर में लागू कर दिया गया है.
मई 2021 में केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरी में भ्रष्टाचार खत्म करने और श्रमिकों को समय पर मेहनताना दिलाने के लिए इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था. इसमें एक मोबाइल एप National Mobile Monitoring System (NMMS) के जरिये हाजिरी लगना अनिवार्य किया गया था. 16 मई 2022 से इसे 20 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाली साइटों पर अनिवार्य कर दिया गया था
इस एप में दो बार स्टांप के साथ वर्कर की जियोटैग के जरिये फोटो भी अपलोड की जाती है. हालांकि मोबाइल एप्लीकेशन की उपलब्धता सिर्फ सुपरवाइजर या कम मजदूरों के पास रहती है, खासकर स्मार्टफोन में इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी समस्या सामने आ रही थी.
इस एप में दो बार स्टांप के साथ वर्कर की जियोटैग के जरिये फोटो भी अपलोड की जाती है. हालांकि मोबाइल एप्लीकेशन की उपलब्धता सिर्फ सुपरवाइजर या कम मजदूरों के पास रहती है, खासकर स्मार्टफोन में इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी समस्या सामने आ रही थी.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme (MGREGS) एक रोजगार गारंटी योजना है. इस स्कीम को 7 सितंबर 2005 को संसद में कानून के जरिये लागू किया था. यह योजना हर साल 18 साल से अधिक उम्र के ग्रामीणों को 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी देती है. इसमें रोजाना 220 रुपये की न्यूनतम मजदूरी दी जाती है. इसके लिए केंद्र सरकार सालाना 40 से 50 हजार करोड़ रुपये का बजट बनाती है.