हरदोई।नेहरू म्युनिसिपल कन्या इण्टर कालेज में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर व्याख्यान देते हुए विषय विशेषज्ञ एवं संगत पंगत अभियान को गति प्रदान करने वाले अम्बरीष कुमार सक्सेना ने कहा कि आप सभी इस धरा के सौभाग्यशाली व्यक्ति हैं।आप इस जीवन में कुछ बन पाएं या न बन पाएं परंतु मनुष्य जरूर बनें। क्योंकि बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सद ग्रंथन गावा।
छात्राओं एवं शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए श्री सक्सेना ने बताया कि मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। मानवाधिकार अर्थात विश्व में रहने वाले प्रत्येक मानव को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार जो विश्व को एक सूत्र में बांधते हों, हर मानव की रक्षा करते हों, उसे दुनिया में स्वतंत्रता के साथ जीवनयापन करने की छूट देते हों। किसी मनुष्य के साथ किसी भी कीमत पर कोई भेदभाव न हो, समस्या न हो, सब शांति से खुशी- खुशी अपना जीवन जी सकें, इसलिए मानव अधिकारों का निर्माण हुआ। इस दुनिया में सभी लोग अधिकारों के मामले में बराबर हैं। देश में लोगों के बीच नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता या समाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म आदि बातों के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता है। इस वर्ष मानवाधिकार दिवस की थीम है – “एकता, सामाजिक-आर्थिक नवीनीकरण और राष्ट्र निर्माण का वर्ष!” भारत में मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी कई सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं। पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता का स्तर थोड़ा कम है, वहां मानवाधिकारों का हनन होना आम बात है।
ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ताकत है, वे इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। शहरों में लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी तो है लेकिन वे इनसे गलत फायदा भी उठा लेते हैं।उन्होंने मानवधिकार के महत्व व आयोग के कार्य के बारे में छात्रों को जानकारी दी।और आह्वान किया कि
आइए हम सब मानव अधिकारों के संरक्षण और इसके प्रति जागरूकता का संकल्प लें।
इस अवसर पर कालेज की सहायक शिक्षिका रुचि दुबे ने कहा कि आज ही के दिन वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र सामान्य महासभा ने मानवाधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी।मानवाधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं, जिनकी वजह से मनुष्य नस्ल, जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म और अन्य विचारधारा आदि के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।
छात्रा अंजली ने विद्या धनं,सर्व धनं प्रधानम पर विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर प्रधानाचार्या नूरुल हुमा,
उषा देवी,वैशाली यादव, वंदना दीक्षित, भैरवी अग्निहोत्री, पुष्पांजलि श्रीवास्तव,वर्तिका शुक्ला आदि उपस्थित रहीं।