गोरखपुर,प्रसव पश्चात नसबंदी अपना कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं नेहा और सुनील

दूसरे बच्चे के प्लानिंग के साथ ही दोस्त की सलाह पर नसबंदी का लिया था निर्णय

सरल, सुरक्षित और असरदार होती है प्रसव पश्चात नसबंदी

गोरखपुर, 04 अप्रैल 2023

अगर दंपति में महिला नसबंदी के निर्णय पर सहमति बनी है तो प्रसव पश्चात नसबंदी श्रेयस्कर है। इसकी प्लानिंग भी प्रसव से पहले ही कर लेनी चाहिए, क्योंकि पहले से मानसिक तौर पर तैयार महिला के लिए प्रसव पश्चात नसबंदी सरल, सुरक्षित और असरदार होती है । दोस्त की सलाह पर दूसरे बच्चे के प्लानिंग के समय नेहा और सुनील ने भी यही किया । जब दूसरे बच्चे के लिए ऑपरेशन किया गया तो सर्जन ने दंपति की सहमति से उसी समय नेहा की नसबंदी कर दी । इस निर्णय को लेने में सुनील के दोस्त की सलाह काफी मददगार साबित हुई। अब दो बच्चों के नियोजित परिवार के साथ यह दंपति खुशहाल जीवन जी रहा है।

पिपराईच ब्लॉक क्षेत्र के बेला कांटा गांव के निवासी और पेशे से व्यापारी सुनील सिंह (37) की शादी वर्ष 2014 में हुई थी। वह बताते हैं कि शादी के बाद पत्नी नेहा (29) के साथ मिल कर तय किया कि पहला बच्चा दो साल बाद ही करेंगे। इस संदेश के बारे में उन्होंने कई बार पढ़ा और सुना था। तीन साल तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधन का खुद इस्तेमाल किया और प्लानिंग के साथ पहला बच्चा 2017 में किया । पत्नी की प्रसव पूर्व जांच के लिए जब पिपराईच सीएचसी जाना हुआ तो वहां से सलाह मिली की दो बच्चों में कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखिएगा । इससे पहले बच्चे को पर्याप्त पोषण मिलता है और मां भी स्वस्थ रहती है । जच्चा बच्चा स्वास्थ्य में परिवार नियोजन की अहम भूमिका है ।

नेहा बताती हैं कि परिवार को छोटा रखने के निर्णय में सुनील की भूमिका ज्यादा रही । पहला बच्चा ऑपरेशन से हुआ था इसलिए चार साल के अंतर के बाद जब दूसरा बच्चा प्लान किया तो तय किया फिर से ऑपरेशन हुआ तो खुद नसबंदी करा लूंगी। पति के दोस्त उमेश ने अपनी पत्नी के ऑपरेशन के समय ही नसबंदी करवा ली थी और अपना अनुभव सुनील को बताया था। इसलिए दंपति ने तय किया कि दूसरे बच्चे के ऑपरेशन के समय ही नसबंदी करवा लेंगे। जिला महिला अस्पताल में जुलाई 2022 में भर्ती होते ही स्टॉफ को पहले से ही नसबंदी के निर्णय के बारे में बता दिया गया था जिसका पूरा लाभ मिला और ऑपरेशन के साथ ही नसबंदी हो गयी। नसबंदी के बाद 3000 रुपये भी खाते में मिले । नसबंदी के बाद कभी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई ।

सुरक्षित है प्रसव पश्चात नसबंदी
हौसला साझेदारी के तहत नसबंदी सेवा प्रदान कर रहे सूर्या क्लिनिक की सर्जन डॉ बुशरा का कहना है कि प्रसव पश्चात नसबंदी सामान्य प्रसव की स्थिति में 72 घंटे के अंदर करना श्रेयस्कर होता है। इस समय महिला के नसबंदी की नसें आसानी से पहचान में आ जाती हैं और चीरा भी छोटा लगता है। यह नसबंदी काफी सफल होती है । सामान्य प्रसव से अधिकतम सात दिन के भीतर यह नसबंदी हो जानी चाहिए। वहीं ऑपरेशन से बच्चा होने की स्थिति में अलग से कोई चीरा नहीं लगाना पड़ता है और यह नसबदी उसी समय कर दी जाती है।

लाभार्थी और प्रेरक को मिलते हैं पैसे

डिवीजनल फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजर अवनीश चंद्र बताया कि प्रसव पश्चात नसबंदी अपनाने वाले लाभार्थी के खाते में 3000 रुपये और प्रेरित करने वाले के खाते में 400 रुपये देने का प्रावधान है। सामान्य दिनों में महिला नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को 2200 और प्रेरक को 300 रुपये दिये जाते हैं । सर्जन की उपलब्धता वाले मंडल के सभी सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध है ।

1560 महिलाओं ने अपनाई सेवा

एनएचएम के ड्रिस्ट्रिक्ट डेटा मैनेजर पवन कुमार गुप्ता का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 तक की अवधि में करीब 1560 महिलाओं ने प्रसव पश्चात नसबंदी की सेवा का चुनाव किया है । सर्वाधिक 457 प्रसव पश्चात नसबंदी वित्तीय वर्ष 2021-22 में हुई थी ।

आशा के जरिये दिया जा रहा है संदेश

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबन्धक पंकज आनंद ने बताया कि प्रसव पश्चात नसबंदी के प्रचार प्रसार का प्रयास आशा कार्यकर्ताओं के जरिये किया जा रहा है। इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को सम्मानित भी किया जाता है । ग्रामीण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) और शहरी क्षेत्र एवं जंगल कौड़िया ब्लॉक में पीएसआई इंडिया संस्थाएं भी परिवार नियोजन कार्यक्रम में सहयोग प्रदान कर रही हैं । हौसला साझेदारी के तहत सम्बद्ध निजी अस्पतालों में भी प्रसव पश्चात नसबंदी की सुविधा दी जा रही है।

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