भोपाल।देश का पांचवा नंदिनी लोकमित्र शिविर भोपाल के पास चारमंडली गांव में ठीक 11 बजे गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के साइलेंट वॉक से शिविर स्थल बेतवा सभागार में मौन बैठकर सुघड़ आश्रम की प्रार्थना से शुरुआत हुई । बाबा विनोबा जी ने स्त्री शक्ति के बारे में गांधी जयंती के अवसर पर दिया गया उद्बोधन सभी को सुनवाया गया। परिचय की श्रंखला को पूर्ण कर नंदिनी शिविर के उद्देश्य और अवधारणा को बताते हुए विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भइया ने कहा कि समाज की बहनों ने अबला और महिला में से स्वत: महिला यानी महानशक्ति वाली को चुना। ऐसे ही स्त्री शब्द स्त्र धातु से बना है।जिसका अर्थ होता है।विस्तार करना फैलाना और उसे बांटना। स्त्री समाज में प्रेम को बाटेंगी और प्रेम को बढ़ाती है। उसको अधिक से अधिक विस्तारित करेगी। समाज में इसी शक्ति को बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन कब ? जब बहनों को यह सब भान होगा। उसी का अहसास कराना, इस नंदिनी शिविर का मुख्य उद्देश्य है। इस शिविर में विदिशा से आए हुए डा सुरेश गर्ग ने कहा कि स्वास्थ्य में बहुत बड़ा योगदान मां ही है। बच्चे को पूरा जीवन सीखने को मिलता है जो मां से उसे बचपन में मिलता है । और उसकी श्रद्धा भी मां के प्रति ज्यादा ही होती है। डा आर के पालीवाल ने अपने जैविक प्रयोग को गांधी विनोबा विचार से जोड़कर सबके समक्ष रक्खा। और बहनों से आवाहन किया कि अपने घर की रसोई को पूर्ण रूप से जैविक बनाने का यत्न करें। सर्वोदय आश्रम हरदोई की उर्मिला बहन ने अपना उद्घाटन संबोधन भी किया।
दूसरे सत्र की शुरुआत ऊषा शर्मा और गीता सिंह ने इसलिए संघर्ष की राह हम चुनें, उर्मिला बहन ने गीत प्रस्तुत किया। डा भारती बहन ने पिछले ऋषिकेश शिविर के सार को जोड़ते हुए अपनी बात कही। प्रसिद्ध लेखिका डा सुजाता चौधरी ने बताया कि समाज में हर व्यक्ति अगर एक भाई और एक बहन बैठ जाए तो शंका की दृष्टि से देखना शुरू कर देते हैं। स्त्री और पुरुष के जीवन का अंतर उन्होंने रखा।