अटरिया, अशोक मिश्रा ने रचा इतिहास खुद के धन से वाटर कूलर लगाकर बुझा रहे राहगीरों की प्यास

संवाददाता, नरेश गुप्ता

  • अटरिया कस्बे को समाजसेवी नवयुवक के द्वारा मिला पहला वाटर कूलर
  • कस्बे के दूसरे चौराहे पर भी शुरू हुई संस्कृतिक जलदान परम्परा
  • अटरिया बालाजी कमेटी के “नर सेवा” “नारायण सेवा” अभियान ने पकड़ी गति

अटरिया सीतापुर, सिधौली कोतवाली क्षेत्र के अटरिया नीलगांव मार्ग के ठीक सामने सब्जी मुख्य बाजार जाने वाले रास्ते पर नीलगाव तिराहे पर समाज सेवी नव युवक अशोक मिश्रा जो अटरिया कस्बे की पुरानी बाजार के पास निवास करते हैं जिन्होंने खुद के परिश्रम से एकत्र की गई धन राशि से राहगीरों को ठंडे पानी के लिए वाटर कूलर लगवाया। अशोक मिश्रा ने बताया कि यहां से रेलवे स्टेशन, सब्जी बाजार, नीलगाव ,लखनऊ, बक्शी का तालाब, इटौंजा और सिधौली, सीतापुर जाने वालों का हर समय 24 घंटे आवागमन बना रहता है। इससे पूर्व अटरिया ओवर ब्रिज के अंडर पास पर ज्येष्ठ माह के पहले ही दिन घड़े से पानी पिलाने की शुरूवात की गई थी इसके बाद
ज्येष्ठ माह के द्वितीय बड़े मंगल के अवसर पर अशोक मिश्रा के द्वारा आम जनमानस के लिए पेयजल की व्यवस्था हेतु नीलगांव तिराहे पर वाटर कूलर लगवाया गया है

गर्मी के दौर में लोगों को शुद्ध और शीतल पेयजल उपलब्ध हो इस क्रम में शहर में एक वाटर कूलर शुरू हो गया है। अटरिया के नीलगाव तिराहे पर यह वाटर कूलर शुरू हुआ है। यह वाटर कूलर किसी समाजसेवी संस्था ने नहीं ब्लकि ब्राह्मण कुल मे जन्मे एक नव युवक अशोक मिश्रा ने लगवाया है। ज्येष्ठ माह के दूसरे मंगलवार को संकट मोचन केशरी नन्दन की पूजा अर्चना के साथ मंगल आरती कर इसका शुभारंभ किया गया ।

कस्बे की नव निर्मित समाजसेवी संस्था अटरिया बाला जी कमेटी की पहल पर यह पहला वाटर कूलर है जो अशोक मिश्रा ने खुद के धन से शुरू किया है। उन्होंने कहा कि अन्य शहरो में सरकारी या गैर सरकारी सामाजिक संगठनों द्वारा वाटर कूलर लगाए जाते हैं। पर उनके खुद के कस्बे में एक भी वाटर कूलर नहीं था वार्ता में नवयुवक ने बताया कि वह कुछ दिन पूर्व ही वाटर कूलर को स्थापित करना चाह रहा था जिससे आने जाने वाले राहगीरों को ठंडे पानी की व्यवस्था हो सके किंतु बीते दिनों उनके पिता का देहांत होने के पश्चात कुछ दिनों तक वह उनके अंतिम संस्कार एवं अन्य कार्यक्रम में उलझ गए जिससे यह पुनीत कार्य कुछ दिनों के लिए बाधित हो गया था किंतु अपने जल दान करने के सपने को साकार करने के पश्चात वह अपने आप को बहुत ही गौरवशाली मानते हैं और ईश्वर का धन्यबाद किया के उन्हें यह पुनीत कार्य करने का अवसर प्रदान हुआ

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