संवाददाता, नरेश गुप्ता
- ‘अमृत’ के लिए तरस रहे सरोवर, पानी की जगह उड़ रही ‘धूल’
- डीएम से लेकर ग्राम प्रधान तक का चुनाव में ध्यान पानी की एक—एक बूंद को तरस रहे पशु—पक्षी
- ब्लॉक के अमृत सरोवरों में से अभी भी कई अधूरे, अधिकांश में नहीं है एक बूंद पानी, 10 घनमीटर होना था पानी का ठहरावगुणवत्ताहीन हुए काम के कारण जलाशयों में नहीं रुका पानी, जिले में योजना पर फिरा पानी
अटरिया सीतापुर . बीते दिनों से तेज धूप, गर्म हवाओं के थपेड़े लोगों को झुलसा रहे हैं। हर हलक को गला तर्र करने के लिए पानी की जरुरत है। केंद्र सरकार ने तालाबों का स्वरूप बदलने और हमेशा गांवों में निस्तार के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने, भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने महात्वाकांक्षी योजना ‘अमृत सरोवर योजना’ शुरू की गई। इस योजना में खामी कहें या फिर निगरानी का अभाव या फिर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य, कि अधिकांश सरोवरों में अमृत रूपी पानी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा। जिन सरोवरों को पानी से लबालब रहना चाहिए, उन सरावरों में धूल उड़ रही है।
बिकास खण्ड सिधौली से मिली जानकारी के अनुसार ब्लॉक स्तर पर सैकड़ों अमृत सरोवर निर्माण का लक्ष्य मिला था। इसके एवज में अब तक लगभग सभी सरोवरों का निर्माण पूरा हो चुका है। हालांकि अधिकारियों का दावा था कि मई में सभी सरोवरों में जल स्तर पूरा करा लिया जाएगा। गौरतलब है कि अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत 24 अप्रेल 2022 को की गई थी। प्रत्येक विकासखंड को लक्ष्य दे दिया गया था। अमृत सरोवरों में करीब 10 हजार घनमीटर पानी सहेजने की क्षमता तय की जानी थी, लेकिन एक घनमीटर भी पानी नहीं है। इतनी राशि खर्च करने के बाद भी न तो समय में इनका निर्माण पूरा हो पा रहा है और ना ही सार्थकता साबित हो रही।
- पानी न रुकने पर अफसरों का अजीब तर्क
अमृत सरोवरों में पानी न रुकने के पीछे जिला पंचायत सहित जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों सहित अन्य अफसरों का अजीब तर्क सामने आया है। अफसरों व इंजीनियरों का कहना है कि पहले वर्ष में तालाब के बंड (मेड़) फटने का डर बना रहता है, इसलिए ज्यादा पानी नहीं रोका जाता। पहली बारिश में बेस मजबूत हो जात है, इसके बाद फिर जलाशयों को भरा जाता है। अधिकांश जलाशयों में बूंद पानी नहीं है और जिले के अधिकारी सरोवरों के नाम में अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
- यह है सरोवर निर्माण का उद्देश्य
जल संरक्षण के उद्देश्य से ही इन अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ है। मनरेगा विभाग द्वारा निर्मित इस अमृत सरोवर में एक बूंद पानी का सृजन नहीं हो सका है। जिसके चलते यह अमृत सरोवर मृत समान लग रहे हैं। जल स्तर बढ़ाने, जलीय जीव-जंतु के पानी की उपलब्धता, मवेशियों से लेकर आम आदमी को भी यह अमृत सरोवर कोई लाभ नहीं दे पा रहे। सरोवर की मेड़ों पर पौधे लगाने का कार्य भी नहीं हो पाया। अमृत तुल्य जल उपलब्ध कराने, मछली पालन से रोजगार उपलब्ध कराने, सिंचाई आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्यों को लेकर शुरू हुए अमृत सरोवरों का निर्माण का लाभ जिले के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। है। मानसून आने के अब कुछ दिन शेष हैं, ऐसे में अभी आधे-अधूरे जलाशय अपनी कहानी बयां कर रहे हैं।
(बॉक्स)
- अमृत सरोवरों के निर्माण को लेकर खास-खास
– प्रत्येक अमृत सरोवर में 14 से 15 लाख रुपए किए गए हैं खर्च, कई बने हैं गुणवत्ताहीन, फिर भी नहीं हुए गुणवत्ता की जांच।
– अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए पंचायतों को बनाया गया था निर्माण एजेंसी, जमकर की गई है मनमानी।
– सरोवरों के निर्माण में 15वें वित्त की राशि भी की गई है खर्च, जिसमें मिट्टी खुदाई आदि में ठेकेदारों के माध्यम से मशीनरी का किया गया है उपयोग।
– मौसम विभाग के अनुसार जिले की औसत लगभग वर्षा 1034 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, पिछले साल लगभग 1038 मिमी बारिश हुई है, बावजूद इसके पानी नहीं ठहरा।
- डीएम से लेकर ग्राम प्रधान तक का ध्यान चुनाव में, पानी की एक—एक बूंद को तरस रहे पशु—पक्षी
अटरिया बैशाख और जेठ के महीने में तपती धूप से जहां आम जनमानस कार्यों की अधिकता से धूप को सहने को मजबूर हैं। वहीं पर छुट्टा जानवर तथा पशु पक्षी भी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं लेकिन जिलाधिकारी से लेकर ग्राम प्रधान तक सबका लक्ष्य केवल चुनाव को सकुशल संपन्न करना है जबकि इस तपती धूप में शासन—प्रशासन से लेकर राजनेता तक किसी का भी ध्यान आम जनमानस तथा पशु पक्षियों की तरफ न होकर केवल चुनावी माहौल बनाने में लगा हुआ है।
- कौन पी गया अटरिया छेत्र के प्यासे सरोबरो का अमृत स्वरुप पानी
कौन पी गया अटरिया छेत्र के प्यासे सरोबर का अमृत, जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलो मीटर की दूरी पर मौजूद अटरिया क्षेत्र को योगी सरकार की अमृत सरोबार योजना से तृप्त होने का आज भी इंतजार है। यहा सरोबर पूछ रहे है कि उसके हिस्से का अमृत कौन पी गया। ऐसा नहीं कि अटरिया क्षेत्र के गांवों का केवल सरोबर ही प्यासे है। गांव की यदि बात करें तो सिस्टम चलाने वाले विकास के दावों की बरसात करते हों, लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि विकास की बरसात तो दूर तालाब बूंद बूंद पानी को भी तरस रहे है।
- दावा तो यह करने का था:—-
प्रदेश भर के गांवों के तालाबों को लेकर पांच माह पूर्व सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एलान किया था कि प्रदेश के गांवों में लाखो सरोबर बनाए जाएंगे तथा हज़ारों की खुदाई की भी जानकारी तब दी गयी थी। साथ ही यह भी कि हर ग्राम पंचायत में लबालब भरे तालाब। इनके किनारों पर हरियाली। बैठकर सकुन के कुछ घंटे गुजरने के लिए जगह-जगह लगी बेंचे। कुछ यही स्वरूप होगा आजादी के अमृत महोत्सव पर बन रहे अमृत सरोवरों का। हर अमृत सरोवर खूबसूरत हो और यह गांवों का पर्यटन स्थल बने। इसके लिए सीएम योगी की सरकार एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी शुरू करने जा रही थी । इसके तहत जो अमृत सरोवर सबसे अच्छे होंगे। उनके निर्माण से जुड़े ग्राम प्रधानों,अधिकारियों और कर्मचारियों को ग्राम्य विकास विभाग सम्मानित करेगा। अमृत सरोवरों के किनारे हरियाली हो इसके लिए 21 सितंबर को पौधरोपण का सघन अभियान भी चलाया गया था ।