गोरखपुर,निक्षय दिवस पर अब टीबी के अलावा कालाजार, कुष्‍ठ  व फाइलेरिया रोगियों की भी होगी पहचान

•      हर माह की 15 तारीख को स्‍वास्‍थ्‍य इकाइयों पर आयोजित होगा एकीकृत निक्षय दिवस, इस माह का आयोजन 16 जनवरी को

•      स्‍वास्‍थ्‍य इकाई की ओपीडी में आने वाले 10 प्रतिशत मरीजों की होगी  रैंडम जांच

गोरखपुर, 13 जनवरी 2023 ।

प्रदेश को क्षयमुक्‍त बनाने के उददेश्‍य से हर माह की 15 तारीख को आयोजित होने वाले निक्षय दिवस पर अब टीबी के साथ ही कुष्‍ठ ,कालाजार व फाइलेरिया रोगियों की भी स्‍क्रीनिंग की जाएगी। अब इसको निक्षय दिवस नहीं बल्कि एकीकृत निक्षय दिवस के रुप में मनाया जाएगा।15 जनवरी को अवकाश के चलते जिले में पहला एकीकृत निक्षय दिवस16 जनवरी को मनाया जाएगा। यह जिले की समस्त जिला, सामुदायिक व प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य  इकाइयों के साथ ही आयुष्मान भारत हेल्‍थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी आयोजित किया जाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि राज्‍य स्‍तर  पर कालाजार को इस वर्ष के अंत तक तथा फाइलेरिया को वर्ष 2030 तक समाप्‍त करने का लक्ष्‍य रखा गया है। वहीं देश से टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2025 तक रखा गया है। कुष्ठ रोग को आगामी 2030 तक समाप्त करने का लक्ष्य है। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए शासन के दिशा-निर्देश पर जनपद के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, सीएचसी, पीएचसी, शहरी क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व जिला चिकित्सालय में एकीकृत निक्षय दिवस पर निक्षय गतिविधियों के साथ कुष्ठ, फाइलेरिया और कालाजार उन्मूलन गतिविधियों पर ज़ोर दिया जाएगा। इन बीमारियों के रोगियों को चिह्नित कर उन्हें उपचार, परामर्श व आवश्यक दवाएं दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि प्रथम एकीकृत निक्षय दिवस के पूर्व सभी आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान टीबी, कुष्ठ, फाइलेरिया और कालाजार उन्मूलन के लिए समुदाय को जागरूक करें, जिससे वह स्वास्थ्य केन्द्रों पर जाकर इन बीमारियों से बचाव व उपचार का लाभ ले सकें और जनपद को नियत समय पर इन रोगों से मुक्‍त  कराया जा सके। इसके लिए सभी जिम्मेदारों का संवेदीकरण किया जा चुका है।

सुविधाओं का प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा

मुख्‍य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता टीबी,कुष्ठ, फाइलेरिया व कालाजार के संभावित मरीजों की सूची तैयार कर उन्हें हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लाएंगी। सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) मरीजों की प्रारम्भिक जांच  के साथ ही एचआईवी,डायबिटीज और अन्य उपलब्ध जांच करेंगे। यही नहीं वह उनके बलगम का नमूना भी लेंगे। उसे निक्षय पोर्टल पर आईडी बनाते हुए नजदीकी टीबी जांच केंद्र पर भेजा जाएगा। इसके अतिरिक्त संभावित कुष्ठ, कालाजार,फाइलेरिया के मरीजों की लक्षण के आधार पर स्क्रीनिंग की जाएगी।

टीबी व कुष्ठ पाजिटिव मरीजों के परिवार वालों की भी होगी जांच

जांच के दौरान अगर कोई मरीज टीबी से ग्रसित पाया जाता है तो उस टीबी मरीज के स्वजनों की भी जांच की जाएगी। इसके साथ ही साथ परिवार के लोगों की टीपीटी ( टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी ) भी होगी। कुष्ठ रोगियों के परिवार के लोगों की भी जांच कराई जाएगी।

यह है इन रोगों के लक्षण

क्षय रोग – दो सप्‍ताह या अधिक समय से खांसी आना, बुखार बना रहना, बलगम में खून आना छाती में दर्द होना, रात को पसीना आना , हर समय थकान महसूस होना, ठंड लगना, वजन घटना, भूख में कमी आदि ।

कालाजार –  इस बीमारी में दो हफ्तों से ज्यादा बुखार रहता है, जो मलेरिया या किसी भी एंटीबायोटिक दवा से ठीक नहीं होता है। इसके अलावा तिल्ली एवं जिगर का बढ़ जाना, रक्त की कमी, वजन में गिरावट एवं भूख न लगना जैसे लक्षण होते हैं।

कुष्‍ठ रोग –  मांसपेशियों की कमजोरी, हाथ और पैर का सुन्न होना।, इस रोग के दौरान मुख्य रूप से त्वचा और नसों पर हमला होता है और त्वचा विकृत हो जाती है क्योंकि त्वचा पर कई गांठ, घाव  आदि होते हैं।

फाइलेरिया –  बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोष की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। हाथ और पैरों में अत्‍यधिक सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है।

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