गोरखपुर, छोटे परिवारों का महत्व बता पखवाड़े को सफल बनाएं

जिले में 31 जुलाई तक चलेगा विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच की अध्यक्षता में हुई समीक्षा

गोरखपुर, 18 जुलाई 2023

छोटा परिवार खुशहाली का आधार है। सीमित परिवार के साथ सभी सपने पूरे किये जा सकते हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सकती है और मां व बच्चों का जीवन स्वस्थ रहता है। छोटे परिवार के निर्णय में पुरुष भागीदारी की अहम भूमिका है। परिवार नियोजन का साधन चाहे महिला से जुड़ा हो या पुरूष से, दोनों में पुरूष का साथ जरूरी है । इस संदेश को जन जन तक पहुंचा कर विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े को सफल बनाना है । यह बातें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने प्रेरणा श्री सभागार में सोमवार को कहीं । वह 11 जुलाई से शुरू होकर 31 जुलाई तक प्रस्तावित पखवाड़े की समीक्षा कर रहे थे ।

स्वयंसेवी संस्था पीएसआई इंडिया के सहयोग से हुई परिवार नियोजन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक के दौरान दस्तक पखवाड़े, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम और प्रस्तावित मिशन इंद्रधनुष अभियान के बारे में भी गहन चर्चा हुई । अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच ने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सफलता में शहरी क्षेत्र की अहम भूमिका है । परिवार नियोजन कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करने और पखवाड़े में जिले की रैकिंग ठीक करने में सभी 23 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों को टीम भावना से कार्य करना होगा। सभी केंद्रों पर परिवार नियोजन के अस्थायी साधन आईयूसीडी, कंडोम, माला एन, ईसीपी, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और साप्ताहिक गोली छाया उपलब्ध है । इन साधनों के बारे में प्रत्येक योग्य दंपति को परामर्श देने की आवश्यकता है ।

डॉ चौधरी ने कहा कि नवविवाहित दंपति को खासतौर पर बताया जाए कि पहला बच्चा शादी के दो साल बाद ही प्लान करना है । इस अंतराल के लिए पुरूष कंडोम का इस्तेमाल कर सकते हैं । महिलाएं बॉस्केट ऑफ च्वाइस से अपने पसंद का साधन चुन सकती हैं। एक बच्चा होने के बाद दूसरा बच्चा शादी के तीन साल बाद ही प्लान करना है । ऐसा करने से मां के एनीमिक होने की आशंका कम हो जाती है और बच्चा भी सुपोषित होता है। दो बच्चों के बीच अंतर के लिए त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, साप्ताहिक गोली छाया समेत किसी भी मनपसंद साधन का चुनाव किया जा सकता है । दो बच्चों के बाद लम्बे अवधि की पीपीआईयूसीडी व आईयूसीडी या पुरूष नसबंदी और महिला नसबंदी का विकल्प भी मौजूद है। दंपति को सभी साधनों के बारे में विस्तार से बताना है और निर्णय उनके विवेक पर छोड़ देना है ।

उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में कम से कम 360 महिला नसबंदी पखवाड़े के दौरान करवानी है और प्रत्येक शहरी स्वास्थ्य इकाई से एक पुरूष नसबंदी अवश्य करवा लें। इस इस्टीमेटेड लेवल ऑफ अचीवमेंट (इएलए) को सभी पूरा करें। सभी केंद्रों पर आधुनिकतम परिवार नियोजन बॉक्स और आईईसी मैटेरियल भी लगवाएं ।

इस मौके पर यूपीटीएसयू संस्था के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ, पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि कृति भारद्वाज व प्रियंका सिंह ने शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन कार्यक्रम की स्थिति के बारे में जानकारी दिया । कार्यक्रम को एसीएमओ डॉ नंदलाल कुशवाहा, मंडलीय शहरी स्वास्थ्य समन्वयक डॉ प्रीति सिंह और जिला शहरी स्वास्थ्य समन्वयक सुरेश सिंह चौहान ने भी सम्बोधित किया । इस मौके पर सहयोगी संस्था यूएनडीपी के प्रतिनिधि पवन सिंह, जेएसआई के प्रतिनिधि प्रशांत और स्वास्थ्य विभाग से फैजान व आदिल प्रमुख तौर पर मौजूद रहे ।

आशा कार्यकर्ता से ली जाएगी मदद

बैठक की प्रतिभागी और शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू मौर्या ने कहा कि बैठक के दौरान नसबंदी के इएलए के बारे में बताया गया है । इसे पूरा करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाएगा । यह भी बताया गया है कि जिला महिला अस्पताल में महिला नसबंदी की सुविधा प्रतिदिन और प्रत्येक बुधवार को महिला एवं पुरुष नसबंदी की सुविधा उपलब्ध है। कौवाबाग स्थित प्रकाश सर्जिकल में प्रतिदिन पुरुष नसबंदी की सेवा उपलब्ध है। आजाद चौक स्थित सूर्या क्लिनिक में प्रतिदिन मिनीलैप विधि से महिला नसबंदी और पुरुष नसबंदी की सुविधा उपलब्ध है। जिला अस्पताल में प्रत्येक माह की 21 तारीख को पुरुष नसबंदी की सुविधा उपलब्ध है। इन स्थानों पर भेज कर योग्य दंपति को सेवा दिलवाई जाएगी। दंपति को प्रेरित करने में आशा कार्यकर्ता की मदद ली जाएगी ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *