
फर्जी शिक्षकों पर योगी सरकार का शिकंजा: 22 की नौकरी खत्म, अब जेल जाने की बारी!
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग में दशकों से चल रहे फर्जीवाड़े की परतें अब खुलना शुरू हो गई हैं। योगी सरकार ने एक बड़ा एक्शन लेते हुए, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले 22 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है। इन सभी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने का भी आदेश दिया गया है, जिसके बाद अब इन्हें जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

यह कार्रवाई शिक्षा विभाग के विशेष जांच दल (SIT) द्वारा चलाए जा रहे एक सघन अभियान का हिस्सा है। पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग जिलों में हुई इन शिक्षकों की भर्तियों पर एसआईटी की नजर थी। जब उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए हाई स्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक और बी.एड. के दस्तावेजों की गहनता से जांच की गई, तो पता चला कि उनके प्रमाण पत्र और अंक पत्र या तो पूरी तरह से जाली थे या उनमें जानबूझकर हेरफेर किया गया था।
इस बड़े खुलासे के बाद पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों का मानना है कि यह तो सिर्फ ‘टिप ऑफ द आइसबर्ग’ है और ऐसे कई लोग अभी भी सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं जिन्होंने गलत तरीके से नौकरी हासिल की है। एसआईटी की जांच अभी जारी है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कई और नामों का खुलासा होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि भविष्य में किसी भी भर्ती प्रक्रिया में ऐसी गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न रहे। उन्होंने साफ कहा है कि जिन अधिकारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ है, उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी।
यह कार्रवाई उन लाखों मेहनती युवाओं के लिए एक बड़ी राहत है जो सालों मेहनत करके सरकारी नौकरी पाने की कोशिश करते हैं। वहीं, यह सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती है कि कैसे इस तरह के भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करके शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को सुधारा जाए। यह कदम न सिर्फ फर्जी शिक्षकों पर लगाम लगाएगा, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता भी लाएगा।
