
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
लखनऊ, उत्तर प्रदेश: एक ओर जहां प्रशासन उर्वरकों (खाद) की कालाबाजारी और ओवर रेटिंग पर लगाम कसने के बड़े-बड़े दावे करता है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। लखनऊ जनपद के बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र में स्थित अमानीगंज गांव में खाद विक्रेताओं की मनमानी जोरों पर है, जिससे किसान बेहाल हैं।
मनमानी ओवर रेटिंग का खेल
हाल ही में, अमानीगंज में खाद विक्रेता अमन गुप्ता द्वारा किसानों को निर्धारित मूल्य से कहीं अधिक दाम पर खाद बेची जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, यहां यूरिया खाद की बोरी 350 से 400 रुपये तक में बेची जा रही है, जबकि इसकी सरकारी दर इससे काफी कम है। खाद की कीमतों में इस मनमाने उछाल ने किसानों की कमर तोड़ दी है, जो पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
किसानों की दोहरी मार
किसानों का कहना है कि वे पहले से ही फसल की लागत और कम होती पैदावार से परेशान हैं। ऐसे में खाद के लिए अधिक कीमत चुकाना उनके लिए दोहरी मार जैसा है। उनका सवाल है कि जब लागत इतनी बढ़ जाएगी, तो वे अपनी फसल को कैसे बचा पाएंगे और कैसे मुनाफा कमा पाएंगे? उनका कहना है कि इस तरह की लूट से उनकी मेहनत पर पानी फिर रहा है।
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
इस मामले ने प्रशासन की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। किसानों का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ कागजों पर सख्त कार्रवाई के दावे करता है, लेकिन हकीकत में ऐसे लोगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। उन्हें डर है कि अगर जल्द ही कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो खाद की यह कालाबाजारी और ओवर रेटिंग यूं ही जारी रहेगी, जिससे उनकी खेती और भी मुश्किल हो जाएगी।
यह देखना बाकी है कि क्या बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी इस मामले का संज्ञान लेते हैं और अमन गुप्ता जैसे विक्रेताओं पर कोई कड़ी कार्रवाई करते हैं, या फिर किसानों को इसी तरह बेहाल छोड़ दिया जाएगा। जब तक प्रशासन सख्त नहीं होगा, तब तक खाद विक्रेताओं की मनमानी यूं ही चलती रहेगी, जिसका सीधा नुकसान देश के अन्नदाताओं को भुगतना पड़ेगा।
