
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
सिधौली सीतापुर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित सिधौली कस्बे में ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ के अवसर पर हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने मिलकर एक अद्भुत मिसाल पेश की। इस पवित्र जुलूस के दौरान, जहां एक ओर पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की शिक्षाओं को याद किया गया, वहीं दूसरी ओर पंजाब में आई भीषण बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए भी एकजुटता का संदेश दिया गया। मुस्लिम समाज के लोगों ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया, जिसमें स्थानीय हिंदू समुदाय ने भी बढ़-चढ़कर सहयोग किया। यह घटना दर्शाती है कि मुश्किल की घड़ी में मानवता और भाईचारे से बढ़कर कुछ नहीं होता।

भाईचारे की अनोखी मिसाल
जुलूस के दौरान सिधौली का माहौल बेहद सौहार्दपूर्ण रहा। मुस्लिम समुदाय के युवाओं ने मिलकर एक कोष बनाया, जिसका उद्देश्य पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाना था। इस नेक काम में स्थानीय हिंदू भाइयों ने भी पूरा समर्थन दिया। उन्होंने न केवल आर्थिक सहयोग किया, बल्कि इस पहल को सफल बनाने के लिए अपनी तरफ से भी हर संभव मदद की। यह नजारा सचमुच दिल को छू लेने वाला था, जहां धर्म और समुदाय की दीवारें टूट गईं और सभी एक साथ खड़े दिखे।
धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बना जुलूस
यह जुलूस सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह हमारे देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब का भी प्रतीक बन गया। जुलूस में शामिल लोग ‘एकता में ही शक्ति है’ का नारा लगाते हुए चल रहे थे। स्थानीय निवासियों का कहना था कि ऐसे आयोजनों से समाज में सद्भाव और प्रेम बढ़ता है। इस तरह के आयोजनों से धार्मिक भेदभाव कम होता है और लोगों के बीच आपसी विश्वास मजबूत होता है।

आगे की राह
इस पहल से यह संदेश गया है कि जब भी देश या समाज पर कोई आपदा आती है, तो सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर उसका सामना करते हैं। सिधौली के इस छोटे से कस्बे ने पूरे देश को यह दिखाया है कि मानवता का धर्म सबसे बड़ा होता है। मुस्लिम समाज द्वारा पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए उठाया गया यह कदम और इसमें हिंदू समुदाय का सहयोग, निश्चित रूप से भविष्य में भी लोगों को प्रेरित करता रहेगा।
इस घटना के बाद, सिधौली में लोगों ने समाज को बांटने वाली ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने का संकल्प लिया। यह घटना दर्शाती है कि भारत की असली पहचान उसकी विविधता में छिपी एकता ही है।
