
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
सिधौली, सीतापुर: सिधौली के अटरिया माइनर पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिंचाई विभाग की ‘मिलीभगत’ का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विभाग ने करीब एक दर्जन अवैध कब्जाधारियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल एक फल दुकानदार को माइनर के एक हिस्से से हटाकर दूसरे हिस्से में दुकान लगाने की छूट दे दी गई। इस दिखावटी कार्रवाई ने न सिर्फ विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि आम जनता के बीच भी आक्रोश पैदा कर दिया है।
सिर्फ एक दुकान पर ‘मेहरबानी’
अटरिया माइनर के बीचों-बीच लगी एक फल की दुकान को हटाने के लिए नोटिस जारी किया गया था। दो हफ्ते बाद, जब बाकी सभी अतिक्रमण जस के तस बने रहे, तो विभाग ने सिर्फ इस एक दुकानदार को माइनर पर ही दूसरी जगह दुकान लगाने की अनुमति दे दी। सहायक अभियंता तरुण त्रिवेदी की इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह कदम अतिक्रमण को खत्म करने के बजाय सिर्फ उसे एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने जैसा है।

’सुविधा शुल्क’ की अफवाहें और खोखले आश्वासन
स्थानीय लोगों में नहर विभाग के जिलेदार पर अवैध वसूली के आरोप लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि जिलेदार ने अतिक्रमणकारियों से “व्यक्तिगत विकास” के नाम पर हज़ारों रुपए वसूल किए हैं। ये अफवाहें विभाग की दिखावटी कार्रवाई से और भी सच लगने लगी हैं
जब सहायक अवर अभियंता तरुण त्रिवेदी से इस मामले पर बात की गई, तो उन्होंने हमेशा की तरह टालमटोल भरा जवाब दिया। उन्होंने बताया कि स्थानीय थाने से पुलिस बल मांगा गया है और फोर्स आते ही सभी अतिक्रमण हटाए जाएंगे।
लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। अतिक्रमण पहले की तरह ही मौजूद हैं, और अधिकारियों का यह बयान महज एक बहाना लग रहा है।
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और विभाग की उदासीनता के कारण माइनर पर अवैध कब्जे लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे किसानों और आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
अब यह देखना बाकी है कि क्या विभाग अपने वादे पर कायम रहेगा और सभी अतिक्रमणों पर कार्रवाई करेगा, या यह मुद्दा सिर्फ पैसे कमाने का जरिया बनकर रह जाएगा।
