इटावा,डाक्टर के परामर्श और सही देखभाल से टीबी पर पाया काबू : राणा प्रताप 

टीबी चैम्पियन राणा प्रताप की जुबानी
टीबी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए जगा रहे जागरूकता की अलख

इटावा, 29, दिसंबर 2022| स्थानीय महेवा निवासी 66 वर्षीय पत्रकार राणा प्रताप सिंह समुदाय को टीबी के बारे में जागरूक करने और इससे जुड़ी गलतफहमियों और आशंकाओं को दूर करने का अथक प्रयास कर रहे हैं। उनको ऐसा करने की प्रेरणा उस दर्दनाक पीड़ा से मिली जिससे वह उस वक्त गुजरे थे, जिस वक्त उनकी टीबी की जाँच रिपोर्ट पाजिटिव आई थी । लेकिन जल्द ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर की काउंसलिंग और मदद के साथ-साथ परिवार द्वारा की गई समुचित देखभाल ने उन्हें छह महीने में पूरी तरह से ठीक होने में सक्षम बनाया। आज वह न केवल टीबी रोगियों के मित्र, मार्गदर्शक और सहयोगी हैं बल्कि समय पर परीक्षण और टीबी पर नियंत्रण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।

राणा प्रताप बताते हैं कि यह बात फरवरी 2021 की है जब खांसी, बुखार और वजन गिरने की शिकायत पर वह स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सामान्य इलाज के लिए पहुंचे। उनके बताये लक्षणों पर डाक्टर ने टीबी की जांच कराने की सलाह दी। डाक्टर का संदेह सही निकला और बलगम जांच में टीबी की पुष्टि हुई लेकिन भरोसा नहीं हुआ तो एक्स-रे कराया तो उसमें भी फेफड़ों की टीबी की पुष्टि हो गयी। उस वक्त वह यह सोचकर बेहद परेशान थे कि 66 वर्ष की इस उम्र में वह इस गंभीर बीमारी से कैसे उबर पाएंगे। दूसरा यह कि घर-परिवार और रिश्तेदारों को पता चलेगा तो वह न जाने कैसा व्यवहार करेंगे। इससे परेशान होकर जब उन्होंने अपने मन की बात चिकित्सा अधीक्षक गौरव को बताई तो उन्होंने साफ़ कहा कि टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है। बस ख्याल यह रखना है कि इलाज का पूरा कोर्स करें, खानपान का पूरा ख्याल रखें और मनोबल को बनाये रखें। आज वह अपने परिवार वालों खासकर पत्नी की तारीफ़ करते नहीं थकते जिन्होंने इलाज के दौरान खानपान का समुचित ख्याल रखने के साथ ही मानसिक तौर पर इतना सशक्त बनाया कि छह माह के इलाज में वह फेफड़े की टीबी से पूरी तरह स्वस्थ हो गए। अब वह टीबी चैम्पियन बनकर टीबी मरीजों की भ्रांतियों को दूर करने, उनका ख्याल रखने के साथ ही मनोबल बढाने में लगे रहते हैं ताकि इस बीमारी का जल्द से जल्द देश से खात्मा किया जा सके।

राणा प्रताप बताते हैं कि इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत उन्हें 3000 रुपये भी मिले । इलाज के दौरान घर-परिवार व साथियों के सहयोग को देखकर मैंने ठान लिया कि टीबी से जुडी भ्रांतियों को दूर करने के साथ ही समुदाय तक यह सन्देश पहुँचाने का काम करूँगा कि दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी आये, बुखार बना रहे, वजन गिर रहा हो तो टीबी की जाँच जरूर कराएँ | सामुदायिक कार्यक्रमों में भी सम्मिलित होता हूँ तो टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करता हूँ और समाज में जिन लोगों में टीबी जैसे लक्षण दिखते हैं उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महेवा पर जांच कराने के लिए ले जाता हूँ । राणा बताते हैं कि अगर किसी को जांच व इलाज को लेकर कोई शंका या झिझक होती है तो उस पर खुलकर चर्चा करते हूँ और अपने अनुभवों के आधार पर उसे दूर भी करते हूँ ।
जागरूकता के लिए निक्षय दिवस मिला अच्छा प्लेटफार्म :
राणा का कहना है कि अब हर माह की 15 तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयोजित होने वाले निक्षय दिवस पर वह टीबी के प्रति जागरूकता की अलख आसानी से जगा सकेंगे | इस मौके पर लोगों को टीबी के लक्षणों को बताकर जाँच के लिए प्रेरित करने में आसानी होगी | इस मौके का उपयोग लोगों की बातों को सुनने और अपना अनुभव साझा करने में करूँगा |
क्षय उन्मूलन में टीबी चैंपियन की अहम भूमिका
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ शिवचरण का कहना है कि क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सामुदायिक जागरूकता के लिए टीबी चैम्पियन राणा प्रताप सिंह जैसे लोगों की बड़ी जरूरत है | चैम्पियन सही सलाह देने के साथ ही मनोबल बढाने का भी काम कर रहे हैं जो कि नियमित दवा सेवन और सही पोषण के साथ बहुत ही जरूरी है | टीबी का इलाज कराकर स्वस्थ हुए व्यक्तियों को ही चैंपियन का दर्जा दिया जाता है और यही चैंपियन अपने अनुभव के आधार पर लोगों को प्रेरित करते हैं।

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