- बाहर से दीवाल को रंग रोशन कर डकार लिया गया सरकारी धन
- भारत सरकार का स्वच्छ भारत का सपना पर पानी फेर रहे बिचौलिया
- इस सम्बंध पर नही खुल रहा किसी की जुबान ,आखिर कौन हैं जिम्मेदार
- सामुदायिक शौचालय पूर्ण नही होने से ग्रामीणों में आक्रोश
अटरिया सीतापुर, जनपद के विकाश खण्ड सिधौली के गोधना ग्राम पंचायत का सामुदायिक शौचालय अपने दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है ।भारत सरकार का स्वच्छ भारत का सपना बिचौलियों के भेंट चढ़ गया है।आखिर जिम्मेदार कौन?समझ से परे है
सिधौली विकास खंड के गोधना में भले ही कागज पर सामुदायिक शौचालयों का संचालन किया जा रहा हो। लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। अधिकांश ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय अधूरे पड़े हुए हैं। जो पूरे हो चुके हैं उनके ताले ही नहीं खुल रहे हैं।
ग्राम पंचायत में लाखों रुपए की लागत से बनाए गए सामुदायिक शौचालय पर जिम्मेदारों की लापरवाही से देखरेख के आभाव में अन्दर से शौचालय का बुराहाल है । ऐसे में ग्रामीणों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। जबकि सामुदायिक शौचालयों की साफ सफाई व देखरेख के लिए ग्राम पंचायत द्वारा महिला स्वयं सहायता समूह को नौ हजार रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं।
स्वच्छ भारत मिशन को लेकर ग्राम पंचायत गोधना में कोई संदीजगी दिखाई नहीं दे रही। गोधना ग्राम पंचायत में नेशनल हाईवे के किनारे स्थित सामुदायिक शुलभ शौचालय का हाल-बेहाल है। लोग मजबूरी में भी मूत्रालय का उपयोग नही कर रहे हैं। शुलभ शौचालयों की स्थिति बेहाल है कि यहां शौच के लिए बैठना भी मुश्किल है क्योंकि पानी की व्यवस्था खस्ता हाल है। शुलभ शौचालय में अगर शौच के लिए जगह ही नही हो तो शुलभ शौचालय का क्या मतलब है कोई ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों को बताया,इसके बावजूद मजबूरी में लोग राहगीर लघुशंका के लिए ही सिर्फ उपयोग कर रहे पाते होंगे शौचालय की साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि ग्राम पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी स्वच्छता अभियान के तहत गली-मोहल्ले में जाकर लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ा रहे। वहीं ग्राम पंचायत गोधना के सार्वजनिक शुलभ शौचालयों की हालत यह है कि उसके पास बदबू के कारण लोगों का गुजरना मुश्किल है। इन शौचालयों से उठती बदबू के चलते आसपास के लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।