सीतापुर,लक्ष्य के सापेक्ष 102 प्रतिशत टीबी मरीजों की हुई खोज

– वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने की परिकल्पना काे लगे पंख

सीतापुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2025 तक देश को क्षय (टीबी) रोग से मुक्त करने के संकल्प को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग विविध प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में विभाग ने गत वर्ष लक्ष्य के सापेक्ष 102 प्रतिशत टीबी मरीजों को खोजा है। साथ ही रोगियों का विवरण निक्षय पोर्टल पर दर्ज कर उनका उपचार भी कराया है।
एसीएमओ व जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. सुरेंद्र कुमार शाही ने बताया कि टीबी रोगियों को खोजने को लेकर सीएचसी स्तर पर लक्ष्य निर्धारित था। साथ ही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ के माध्यम से टीबी रोगी खोजे गए। जिला अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच प्रतिशत मरीजों की भी टीबी की जांच की गई। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2022 में जिले में 13,000 टीबी के संभावित मरीजों को चिन्हित करने का लक्ष्य तय किया गया था। इसमें से 13,221 मरीज चिन्हित हो गए हैं। चिन्हित मरीज लक्ष्य के सापेक्ष 102 प्रतिशत हैं।
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*कहां-कितने मरीज हुए चिन्हित —
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वय आशीष दीक्षित ने बताया कि जिला क्षय रोग केंद्र के अलावा बात अगर सीएचसी की करें तो कसमंडा और एलिया को छोड़कर सभी सीएचसी द्वारा लक्ष्य के सापेक्ष 100 प्रतिशत से अधिक क्षय रोगियों को खोजा गया है। इस मामले में गोंदलामऊ सीएची ने लक्ष्य के सापेक्ष 141 प्रतिशत टीबी रोगियों की खोज कर पहला स्थान प्राप्त किया है। सीएचसी सांडा 138 और रेउसा 134 प्रतिशत मरीजों की खोजकर क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा है। इसके अलावा सीएचसी रेउसा 133, तंबाैर 132, मिश्रिख 131, बिसवां 139, पहला 120, खैराबाद व सिधौली 117, महोली 114, परसेंडी 110, हरगांव, महमूदाबाद और पिसावां 107, रामपुर मथुरा 106 और लहरपुर सीएचसी पर 104 प्रतिशत टीबी मरीजों की खोज की गई है।
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*यह हैं टीबी के लक्षण —*
दो हफ्ते या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना, वजन का घटना एवं भूख कम लगना, लगातार बुखार रहना, रात में पसीना आना, सीने में दर्द होना टीबी के लक्षण हैं। यह लक्षण होने पर मरीज को क्षय रोग केंद्र पर टीबी की जांच करानी चाहिए।
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*कोई भी ले सकता है गोद —*
सीएमओ डाॅ. मधु गैरोला ने बताया कि टीबी मरीजों को कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था गोद ले सकती है। गोद लेने वाले व्यक्ति को मरीज के लिए पोषण खाद्य सामग्री (न्यूनतम छह माह) देनी होती है। जिसमें मूंगफली, भुना चना, गुड़, सत्तू, तिल और गजक एक-एक किग्रा देकर टीबी मुक्त जनपद बनाने में सहयोग कर सकते हैं।

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