- मितौली, मोम्मदी, निघासन, पलिया और धौरहरा की महिलाओं को मिलेगा लाभ
लखीमपुर खीरी। गर्भवती की मुश्किलों को आसान करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक अनूठी कार्य योजना तैयार की है। जिसका सीधा लाभ मितौली, मोम्मदी, निघासन, पलिया और धौरहरा ब्लॉक और उसके दूरस्थ गांवों की महिलाओं को मिलेगा। विभाग ने यह कार्य योजना जिले में सर्जन और बेहोशी के चिकित्सकों की कमी को देखते हुए तैयार की है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) मितौली, मोम्मदी, निघासन, पलिया और धौरहरा में सर्जन और बेहोशी के चिकित्सकों की तैनाती न होने के कारण इन क्षेत्रों की महिलाओं को प्रसव (सिजेरियन ऑपरेशन) के लिए जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है। रात में प्रसव पीड़ा होने पर गर्भवती विशेष रूप से उच्च खतरे की गर्भावस्था (एचआरपी) और जिनका ऑपरेशन होना होता है, उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसी गर्भवती को प्रसव के लिए होने वाले ऑपरेशन के लिए जिला मुख्यालय की दौड़ न लगानी पड़े इसको लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता ने एक विशेषज्ञ सर्जन और बेहोशी के डॉक्टर को इन सीएचसी पर गर्भवती का ऑपरेशन कर सुरक्षित प्रसव कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। सर्जन डॉ. सुनील और बेहाशी के डॉ. रवि मोहन गुप्ता प्रत्येक मंगलवार और गुरुवार को बारी-बारी से इन सीएचसी पर जाकर ऑपरेशन कर सुरक्षित प्रसव कराएंगे। इसके लिए बयाकदा रोस्टर का भी निर्धारण किया गया है। इसके अलावा यदि किसी सीएचसी अधीक्षक को बीच में सर्जन और बेहोशी के चिकित्सक की आवश्यता पड़ती है, तो वह ऑनकाल इन्हें अपने वहां बुला सकते हैं।
सीएमओ का कहना है कि इस नई व्यवस्था के बाद इन क्षेत्रों की गर्भवती को जिला मुख्यालय की दौड़ नहीं लगानी होगी। उन्होंने सभी संबंधित अधीक्षकों से कहा कि वह रोस्टर और गर्भवती की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पूर्व से ही गर्भवती को अपने सीएचसी पर भर्ती कराकर उनकी संबंधित जांचें करा लें और निर्धारित दिवस पर ऑपरेशन करा कर सुरक्षित प्रसव में सहयोग करें, जिससे गर्भवती को जिला मुख्यालय की दौड़ न लगानी पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि सभी चिकित्सा अधीक्षक अपने सीएचसी पर दवाओं व उपकरणों आदि की पूर्ण व्यवस्था बनाए रखें। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि गर्भवती को प्रसव के लिए सीएचसी पर ही लेकर आएं। यदि कोई ज्यादा गंभीर मरीज हो तभी उसे रेफर किया जाए। मातृ स्वास्थ्य सलाहकार लल्ला सिंह का कहना है कि इन नई व्यवस्था के बाद अब संस्थागत और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही जिससे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी।