सीतापुर,मेरा दर्द वो न समझ सके मुझे सिर्फ इतना मलाल है

सीतापुर!आंदोलन के अड़तालिसवें दिन धरना स्थल पर एकत्रित निवेशक साथियों ने आपस में विचारों का आदान प्रदान करते हुए कहा कि हम गरीबों,मजदूरों के साथ लघु और सीमांत व्यापारियों की जगह अगर किसी पूंजीपति का पैसा कहीं फंसा होता तो अड़तालिस दिन की जगह अड़तालिस घंटे में समस्या का निराकरण कर दिया जाता?हम सभी का यह कैसा दुर्भाग्य है कि अपनी जमा धनराशि के लिए हमें आंदोलन करना पड़ रहा है फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही?और आम जन मानस पर अगर बैंकों का छोटा मोटा भी कर्ज हो तो जेल में बंद कर वसूली की जाती है!यह दोहरा मापदण्ड अपनाकर केन्द्र व प्रदेश सरकारें लोक तंत्र की हत्या कर रही है!इस भाजपा सरकार में अथाह संपत्ति डकार कर भाग चुके धनाढ्य पूंजीपति विदेशों में ऐश कर रहे हैं,और सुब्रत राय जैसा हम सभी का लुटेरा इसी सरकार की छत्रछाया में खुलेआम घूम रहा है,आज तक इन सभी विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई? जनता जनार्दन अपने पैसे के लिए मजबूर होकर सड़कों पर संघर्ष करने के लिए विवश है!शीर्ष पर विराजमान जिम्मेदारों को चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए!क्योंकि भाजपा की अपनी दो पंचवर्षीय योजनाओं में शासन से संरक्षण पाकर दर्जनों अडानी देश को लूटकर भागने में कामयाब रहे हैं या भागने का प्रयास कर रहे हैं!संसद में विपक्ष की बोलती बंद कर खुद भौंकने की इस कला को जनता जनार्दन समझ रही है!आने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को इसका परिणाम भुगतना होगा!धरना स्थल पर गुरुपाल सिंह, पिंदर सिंह सिद्धू,नवल किशोर मिश्रा, सुरेश कुमार,प्रेमलता शुक्ला,करुणा शंकर,रईश अहमद, पुष्पा राठौर,राम चंद्र मौर्य,चन्द्र काश्मीर,श्री कृष्ण पाल, मोहिनी देवी,राम गोपाल,पूनम तिवारी सहित काफी लोग मौजूद थे!

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