(अम्बरीष कुमार सक्सेना)
हरदोई। शाहाबाद,संडीला, बिलग्राम, सवायाजपुर एवं हरदोई सदर तहसील क्षेत्र के खेत ,खलिहान,ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में स्थापित प्राइवेट स्कूल, कॉलेज लूट का केन्द्र बनकर रह गए हैं। तरह तरह से अभिभावकों का शोषण करना ही इन स्कूल कॉलेजों एकमात्र उद्देश्य बनकर रह गया। शासन,प्रशासन किमकर्तव्यविमूढ़ बनकर रह गया है।
प्राइवेट स्कूलों में फीस वृद्धि व कोर्स पर कमीशनबाजी को लेकर अभिभावक संघ ने आज ज़िलाधिकारी को सम्बोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। ज्ञापन पर तत्काल एक्शन लेते हुए स्कूल मैनेजमेंट/प्रशासन व शिक्षाधिकारियों की एक मीटिंग कराने का निर्देश दिया गया। जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति की मीटिंग भी कराए जाने का निर्देश दिया गया है।
अभिभावकों ने सोशल मीडिया पर स्कूल फीस/बस फीस आदि में मनमानी वृद्धि व क़िताबों/कॉपियों में कमीशनबाजी को लेकर रोष प्रक्रट किया है। अभिभावक संघ ने तत्काल संज्ञान लेते हुये सामने आ रही शिकायतों पर जिला प्रशासन से एक्शन लेने का अनुरोध किया है। इस मौक़े पर अभिभावक संघ के अध्यक्ष गोपाल द्विवेदी ने कहा कि संघ पर कुछ मीडिया मंचो पर निष्क्रियता के आरोप निराधार हैं। कहा, खेदजनक स्थिति है कि स्कूल मैनेजमेंट हर शिक्षण सत्र के शुरू होते ही मनमानी करने लगता है। अभिभावक संघ ने गठन होने के बाद से ही हर शिक्षण सत्र में इस मनमानी को रोकने का प्रयास किया है। पूर्व के शिक्षण सत्रों में स्कूल मैनेजमेंट, बुकसेलर्स व ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों पर जो भी नकेल कसी गयी है वह अभिभावक संघ के ही प्रयासों का प्रतिफल रही है। संरक्षक राकेश पांडेय ने कहा कि अभिभावक संघ किसी भी अभिभावक से कोई चंदा आदि नही लेता है। यह एक पंजीकृत संस्था है जो कोर कमेटी के सदस्यों के सहयोग से कार्य करती है। अभिभावक संघ के पदाधिकारियों पर उपकृत होने के लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह निराधार हैं। संरक्षक आमिर किरमानी ने कहा कि अभिभावक संघ ताकतवर मैनेजमेंट/बुकसेलर्स/ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर लॉबी के दबाब को नकार कर अभिभावकों की शिकायत/रोष को लेकर जिला प्रशासन के सम्मुख उन्हें रख उनका समाधान प्राप्त करने का प्रयास करता है। कहा, आरोप लगाने की बजाय सहयोग प्रदान करें, क्योंकि अभिभावकों के साथ के बिना प्रशासन व मैनेजमेंट/बुकसेलर्स/ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों पर पर्याप्त दबाब नहीं बनाया जा सकता।
यह स्थिति केवल जिला मुख्यालय की नहीं है बल्कि जनपद के सभी हलकों में है। अभिभावक त्रस्त हैं।