– स्वास्थ्य केंद्रों पर हर 21 तारीख को मनाया जाता है खुशहाल परिवार दिवस
सीतापुर। मिश्रिख ब्लॉक के चांदपुर गांव की आशा कार्यकर्ता प्रिया ने ग्रामीण अंचलों में कही जाने वाली कहावत जो राह बताएं, वो आगे चले को अपने जीवन में पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रिया ने पहले खुद नसबंदी अपनाई फिर लोगों को परिवार नियोजन और छोटे परिवार के लाभ बताते हुए नसबंदी कराने के लिए प्रेरित किया।
समाजशास्त्र विषय से परास्नातक प्रिया तिवारी (29 वर्ष) बताती हैं कि वर्ष 2015 में मैंने आशा कार्यकर्ता के रूप में स्वास्थ्य विभाग के साथ काम करना शुरू किया। जब लोगों को परिवार नियोजन के लाभ बताते हुए मैं उनसे नसबंदी कराने को कहती तो पुरुष और महिलाएं मुझसे ही प्रश्न करते थे। क्या तुमने कराई है? वर्ष 2017 में मेरे दूसरे बेटे का जन्म हुआ। मुझे लगा कि अब मुझे नसबंदी करा लेनी चाहिए। इसके बाद मैं एक उदाहरण बनकर लोगों के सामने अपनी बात रख सकूंगी। मैंने स्वेच्छा से नसबंदी अपनाई। अब मैं जब भी महिलाओं और पुरुषों को नसबंदी कराने के लिए परामर्श देती हूं तो महिला और पुरुष दोनों ही मेरी बात गंभीरता से लेते हैं।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आरएन गिरी ने बताया कि नसबंदी कराने वाली महिलाओं को 2,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यदि महिला ने प्रसव के एक सप्ताह के भीतर नसबंदी कराई है तो उसे तीन तीन 3,000 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा नसबंदी कराने वाले पुरुष को 3,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह धनराशि संबंधित लाभार्थी को बैंक खाता के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। आशा कार्यकर्ता को पुरुष नसबंदी कराने पर 400 रुपये व महिला नसबंदी पर 300 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाते हैं।
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*हर माह होते हैं आयोजन —*
परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रबंधक जावेद खान ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में परिवार नियोजन सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर माह की 21 तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर खुशहाल परिवार दिवस एवं प्रत्येक गुरुवार को अंतराल दिवस का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर लाभार्थियों को परिवार नियोजन के साधनों में से उनके मन माफिक किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाता है।