हरदोई। मोहल्ला महुआटोला शाहाबाद में ” एक शाम अब्दुल वहीद खां साहब के नाम ” इस के तहत मरहूम की याद में एक मुशायरे का आयोजन किया गया , जिसकी सदारत यूसुफ हुसैन खां ने की ,जबकि निज़ामत के फराइज़ ताहिर शाहाबादी ने अंजाम दिए ,
मुशायरे से क़ब्ल मास्टर वहीद साहब के बेटे तनवीर हुसैन खां ने अपने मरहूम वालिद के औसाफ़ पर तवील गुफ्तगू की और उनकी खूबियों को सामईन के रूबरू पेश किया ।
मुशायरे का आगाज़ मास्टर अब्दुल वहीद खां की हम्द पढ़ कर किया गया /
हकीम ज़ीशान ने कहा–
कैसे सोच लिया ये तुम ने फूल खिलेंगे
फूलो वाला बीज कोई बोने से पहले
मास्टर इज़हार खां ने कहा—
जब से आंखों ने ज़िम्मेदारी ली
तब से बादल भी कम बरसते हैं
अर्शी पिहानवी ने कहा–
अहले ख़िरद निकल गए दरबार ए इश्क़ से
लगता है फिर से शाहे ज़फर का ज़वाल है
सुल्तान अख्तर ने कहा—
हर लुत्फ ज़िन्दगी का मयस्सर उसी को है
जो ज़िन्दगी को प्यार के सांचे में ढाल दे
ताहिर ने कहा–
कल मेरा होगा आज से बेहतर
बस इसी सोच में हयात गई
हनीफ खां ने कहा—
ठिकाना तेरा कब्र होगी किसी दिन
तू मखमल के बिस्तर बिछाने चला है
साबिर शाहजहांपुर ने कहा–
वो गए हैं जब से साबिर बज़्म सुनी हो गई
शायरों की जान थे हां वाक़ई अब्दुल वहीद
इसके अलावा मास्टर अनीस अहमद ,डॉ अज़हर वारसी,
ने भी अपना कलाम पेश किया ।
आख़िर में मेजबान तनवीर हुसैन खां ,शादाब हुसैन खां ने तमाम शायरों और हाज़रिन का शुक्रिया अदा किया ।