इटावा,सही इलाज से स्वस्थ हो रहीं स्पाइनल टीबी से ग्रसित परवीन

इटावा, 28, अप्रैल 2023।

रामगंज निवासी 60 वर्षीया टीबी ग्रसित परवीन जो रीढ़ की हड्डी में टीबी होने की वजह से बिस्तर पर आ गयी थीं, आज अपने पैरों पर चलने-फिरने लगी हैं। यह संभव हो पाया राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मिले प्रभावी इलाज से, जिसने उनके अन्दर स्वस्थ होने का विश्वास जगाया। परवीन पिछले सात महीने से टीबी अस्पताल से इलाज ले रही हैं और अब घर के कामकाज भी करने लगी हैं। वह कहती हैं – “मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं अगर मुझे टीबी की सही जानकारी पहले ही मिल गई होती तो शायद मैं अब तक पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी होती। अब ठान लिया है कि समय से दवा खाऊंगी और इलाज का कोर्स पूरा करूंगी और एक दिन पूरी तरह स्वस्थ जरूर हो जाऊंगी।”

परवीन बताती हैं – सामान्य घरेलू महिलाओं की तरह मेरा जीवन भी सामान्य रूप से चल रहा था। अक्सर पीठ में दर्द होता था और धीरे-धीरे यह दर्द बहुत अधिक होने लगा और असहनीय पीड़ा के कारण प्राइवेट डॉक्टर को जाकर दिखाया। डॉक्टर की सलाह पर सीटी स्कैन कराया जिसमें पता चला स्पाइनल टीबी (रीढ़ की हड्डी की टीबी) से ग्रसित हूं जिसकी वजह से मेरी रीढ़ की हड्डी की दो कशेरूकाएं गल रही हैं | यह पता चलते ही मानसिक रूप से बहुत परेशान हो गई। इसके बाद आगरा के प्राइवेट हॉस्पिटल में एक महीने भर्ती रही। आर्थिक स्थिति पहले से ही अच्छी नहीं थी। इस दौरान मेरे इलाज में लगभग दो लाख रूपये खर्च हो गए। पैसों की कमी की वह से मजबूरन इलाज बंद करना पड़ा जिसके कारण कुछ ही दिनों बाद पूरी तरह से बिस्तर पर आ गई। लगभग 8 माह पहले मेरे दामाद मोहम्मद सिराज ने टीबी हॉस्पिटल ले जाकर दिखाया और टीबी का इलाज शुरू हुआ। टीबी क्लीनिक में डॉ सोहम ने सभी जांच दोबारा कराई और कहा – “एक दिन अपने पैरों पर खड़ी होकर सारे काम करोगी। परेशान मत हो बस समय से दवा खाओ और खान-पान का ध्यान रखो।“मुझे उनकी इस बात से बहुत हिम्मत मिली और मैंने स्वस्थ होने की ठान ली।

परवीन कहती हैं कि उनके पति, बेटी और दामाद उनकी दवा के साथ खानपान का विशेष ध्यान रखते हैं और वह आज धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही हैं और अब मैं अपने दैनिक कार्य भी स्वयं करने लगी हूं।

स्पाइनल टीबी पर विशेषज्ञों की राय

जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक गुप्ता का कहना है कि स्पाइनल टीबी या रीढ़ की हड्डी की टीबी एक प्रकार की एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी है। इस तरह की टीबी बाल और नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। यह टीबी फेफड़ों की टीबी की तरह संक्रामक नहीं होती लेकिन इसकी पहचान में आने वाली चुनौतियों के कारण यह घातक हो सकती है। यह जानना ज़रूरी है कि यदि समय से पहचान हो जाए तो हर तरह की टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है। कभी भी पीठ में दर्द बार-बार हो और कमजोरी महसूस हो, रीढ़ की हड्डी में सूजन हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ययह स्पाइनल टीबी के लक्षण हो सकते हैं। स्पाइनल टीबी को समाप्त होने में लगभग 12 से 15 महीने का वक्त लगता है लेकिन इलाज को बीच में छोड़ दिया जाए या समय से दवा का सेवन न करने से इलाज की अवधि बढ़ जाती है। इससे रोगी की रीढ़ की हड्डी गल जाती है जिससे स्थाई अपंगता भी आ सकती है।

टीबी क्लीनिक के डॉ सोहम प्रकाश गुप्ता ने बताया – इंडिया टीबी रपोर्ट 2022 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल चिन्हित टीबी रोगियों में से 25 प्रतिशत मरीज़ एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के हैं। आमतौर पर इस तरह की टीबी के लक्षण स्पष्ट नहीं दिखते या दूसरी बीमरियों से मिलते-जुलते होते हैं जिसकी वजह से इसकी पहचान और प्रबंधन में चुनौतियाँ आती हैं। इसी वजह से एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी पर बराबर ध्यान देने की ज़रूरत है। हालाँकि नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान (2017-2025) के तहत सरकार टीबी उन्मूलन के लिए हर स्तर के प्रयास कर रही है।
जिला क्षय रोग कार्यक्रम समन्वयक कंचन तिवारी ने बताया कि एक्स्ट्रा पलमोनरी की जांच सैंफई मेडिकल कॉलेज में की जाती है और टीबी के इलाज की सुविधा जिला अस्पताल व टीबी क्लीनिक सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है इसलिए टीबी के सामान्य लक्षण देखने पर जांच अवश्य करवाएं।

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