लखनऊ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व में उत्तर, पश्चिम तथा,पूर्वोत्तर भारत में अपनी जड़ें जमाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अब दक्षिण की ओर रुख किया है। भाजपा दक्षिण के राज्यों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है लेकिन उसे अभी तक कर्नाटक को छोड़कर किसी और दक्षिणी राज्य में उल्लेखनीय सफलता अर्जित नहीं हो पाई है । इस बार दक्षिण के लिए भाजपा के तेवर तीखे और विजय की अभिलाषा वाले हैं पार्टी इस बार मोदी जी के नेतृत्व में नई रणनीति के साथ दक्षिण भारतीयों का दिल जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं दक्षिण के राज्यों के सघन दौरे कर रहे हैं।
केरल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोच्चि व तिरुअनंतपुरम शहरों में आयोजित रोड शो में जिस प्रकार आम जन उमड़ पड़ा, उन पर पुष्पवर्षा की तथा मोदी- मोदी के नारे लगाए उसे देखकर यह लग रहा है कि आने वाला समय केरल व दक्षिण के राज्यों में भी भाजपा का हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दक्षिण मिशन को केवल चुनावी दृष्टिकोण से ही नहीं हो रहा है अपितु “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के विचार की स्थापना के लिए भी हो रहा है । इससे दक्षिण भारत में भाषा समस्या, उत्तर दक्षिण विभाजन, बदलती जन सांख्यकी, धर्म परिवर्तन, राजनीति में परिवारवाद, भ्रष्टाचार आदि पर आम जन को विश्वास में लेकर प्रहार किया जा सकेगा और एक भारत श्रेष्ठ भारत ताथा विकसित भारत और भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संकल्पना को साकार किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने अपनी केरल की दो दिवसीय यात्रा में कई कार्यक्रमों में भाग लिया, कोच्चि में उन्होंने युवाओं के कार्यक्रम को संबोधित किया जबकि तिरुअनंतपुरम में वंदे भारत मेट्रो की सौगात दी।केरल यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने पादरियों से मुलाकात की जिससे सेक्लुयर बिरादरी के माथे पर पसीना आ गया। जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चिर परिचित अभ्यास है वो जिस प्रान्त में जाते हैं वहीं के परिधान और परंपरा को अपना लेते हैं उन्होंने अपनी केरल यात्रा के दौरान केरल केरल के पारंपरिक परिधान में ही सारे कार्यक्रम और यात्रा संपन्न की। उन्होंने केरल की जनता को वंदे भारत एक्सप्रेस, वाटर मेट्रो सहित विकास योजनाओं के कई उपहार दिए, तिरुअनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में 3200 करोड़ रूपये की विभिन्न परियोजनाओं का उन्होंने शिलान्यास किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं का संबोधित करते हुए केरल के लिए भविष्य की राजनीति की योजना भी बता दी। उन्होंने राज्य में हो रहे घोटालों तथा भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए कहा कि केरल सरकार व यहां के सभी दल युवाओं के भविष्य के छल कर रहे हैं। केरल सरकार युवाओं के लिए न तो रोजगार मेला आयोजित करती है और न ही सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती विज्ञापन निकालती है जबकि जहां- जहां डबल इंजन की सरकारें हैं वहां पर युवाओं के लिए रोजगार मेलों तथा सरकारी नौकरियों की बयार है।प्रधानमंत्री ने कहाकि भाजपा हमेशा युवाओं के साथ रहेगी जबकि पारंपरिक मोर्चे युवाओं की भलाई का कर्तव्य निभाने में विफल रहे हैं।पिछले कुछ वर्षों में दो पारंपरिक राजनीतिक मोर्चों के बीच वैचारिक मतभेद के कारण केरल में युवाओं ने बहुत सारे अवसर खो दिए। एक पार्टी ने अपने विकास को प्राथमिकता दी तो वहीं दूसरे दल ने परिवारवाद को और दोनों ने ही युवाओं को फेल कर दिया। युवाओं को आकर्षित करने के लिए उन्होंने कहा कि आज देश तेज गति से प्रगति कर रहा है और आप सभी युवा केरल का एक नया इतिहास लिखें और उसका नेतृत्व करें मैं आपका अनुसरण करने के लिए तैयार हूं।
केरल हवाई अड्डे पर कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया और दोनों नेता एक दूसरे का हाथ थामे नजर आए, उनका यह चित्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस चित्र के सामने आने के बाद राजनैतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि भविष्य में शशि थरूर भी कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का हाथ थाम सकते हैं। केरल में अपनी राजनैतिक स्थिति को मजबूती प्रदान करने के लिए भाजपा लगातार काम कर रही है और यही कारण है कि भाजपा ने महान धाविका पी. टी. ऊषा को राज्यसभा में मनोनीत किया है। केरल व दक्षिण के राज्यों में ईसाइयों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के लिए भाजपा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके तमाम आनुषांगिक संगठनों का भी सहयोग प्राप्त कर रही है। अभी अल्पसंख्यक पर्वों गुड फ्राइडे आदि के अवसर पर राष्ट्रीय ईसाई मंच की ओर से स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया था।संघ के कई पदाधिकारी पादरियों से मिलने गये व विभिन्न विषयों व समस्यायों चर्चा भी हुई। ईसाइयों के बीच भाजपा की छवि को सुधारने के लिए ही प्रधानमंत्री 8 ईसाई पादरियों से भी मिले।
केरल में 18 प्रतिशत ईसाई और 28 प्रतिशत मुस्लिम तथा 54 प्रतिशत हिंदू हैं।प्रधानमंत्री ने केरल वासियों से कहा कि जिस प्रकार से अभी हाल ही में नागालैंड, मेघालय व त्रिपुरा में कमल खिला है और बार बार खिल रहा है तथा वहां के अल्पसंख्यक समाज ने जिस प्रकार सभी राजनैतिक अवधारणाओं को बदल कर रख दिया है उससे उनका यह संकल्प और मजबूत हो गया है कि आगामी समय में केरल में भी कमल खिलेगा और सभी अवधारणाओं को विफल करेगा।
प्रधानमंत्री दक्षिण में भाजपा को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। इससे पूर्व वे तमिलनाडु और तेलंगाना का भी तूफानी दौरा कर आये हैं। इसी वर्ष तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है और वहां पर भी वह वंदेभारत सहित हजारों करोड़ की योजनाओं का उपहार देकर आये थे। प्रधानमंत्री व बीजेपी के ताजा प्रयासों से दक्षिण की राजनीति में एक नई चमक व उत्तेजना दिखाई पड़ रही हैं। बीजेपी व संघ की बढ़ती लोकप्रियता से तमिलनाडु के स्टालिन घबरा रहे हैं तो केरल व कर्नाटक के वामपंथी, कांग्रेसी भी। तमिलनाडु सरकार ने भाजपा व संघ की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पथसंचलन को रोकने का असफल प्रयास किया और स्टालिन अपने ही दांव मे घिर गये । प्रधानमंत्री के नेतृत्व व उनके मार्ग निर्देशन में काशी से लेकर गुजरात में तमिल संगमम जैसे आयोजन किये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री की ताजा दक्षिण यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि जिस राज्य में भाजपा को एक कार्यकर्ता तक खोजे नहीं मिल रहा था उसी राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखने व सुनने के लिए लाखों की उत्साहित भीड़ आ रही है। केरल का जनमानस अच्छी तरह से समझ रहा है कि आज भारत का भविष्य प्रधानमंत्री रेंद्र मोदी के हाथों में ही सुरक्षित है तथा वही राज्य को घोटालों और मुगलिया संस्कृति से आजाद करा सकते हैं। अब केरल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा की बढ़ रही लोकप्रियता के कारण अन्य विचारधारा वाले दलों का साथ भी मिलने लगा है। अभी बीबीसी विवाद के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी के पुत्र अनिल एंटनी ने बीजेपी का दामन थामा।
प्रधानमंत्री, भाजपा व संघ की बढ़ती लोकप्रियता के कारण दक्षिण के परिवारवादी नेता एक बार फिर हिंदी विरोध पर उतर आये है। उनको लगता है कि संघ के पथसंचलन पर बैन लगाकर, हिंदी को गाली देकर व अपमानित करके ही दक्षिण में भाजपा की बढ़त को रोका जा सकता है किंतु अब यह तय है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत का मन बदल रहा है।
अभी कर्नाटक में विधानसभा चुनावों से यह साफ हो जाएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बीजेपी का दक्षिण विजय का अभियान कितना सफल हो रहा है। कर्नाटक का विधानसभा चुनाव एक लिटमस टेस्ट होगा। विश्लेषकों का अनुमान है कि कर्नाटक में बहुत कांटे की टक्कर हो रही है किन्तु यदि भाजपा सरकार बनाने में चूक भी जाती है तो भी उसका मतलब यह नहीं होगा कि बीजेपी का मिशन दक्षिण फेल हो गया अपितु वह और अधिक मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा के संकल्प को रोकना कठिन होगा।