एसीएमओ बोले – साल में एक बार जरूर खाएं दवा, साफ सफाई का रखें विशेष ख्याल
सीएमओ कार्यालय में फाइलेरिया रोग, रोकथाम एवं संचार पर क्षमता वर्धन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित
कानपुर 2 मई 2023
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण इकाई के तत्वधान में मंगलवार को फाइलेरिया ग्रस्त मरीजों और नेटवर्क सदस्यों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन हुआ। स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) और पाथ के सहयोग से यह आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में हुआ।
प्रशिक्षण की अध्यक्षता कर रहे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी से जुड़ी हुईं भ्रांतियों को हमें खत्म करना होगा और इसके लिए नेटवर्क सदस्यों की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। इसके लक्षण पता लगने में पांच से 15 साल तक लग जाते हैं। इसलिए फाइलेरिया से बचाव की दवा सभी को खाना आवश्यक है।
कार्यक्रम में मौजूद संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा ने कहा कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसका न तो स्थायी इलाज है और न ही इससे किसी की मौत होती है, लेकिन बीमारी बढ़ने के साथ शारीरिक अपंगता बढ़ती जाती है। इसे निग्लेक्टेड ट्रापिकल डिजीज की श्रेणी में शामिल किया गया है। दिव्यांगता बढ़ने के साथ व्यक्ति कामकाज में अक्षम हो जाता है। कमाऊ व्यक्ति के अपंग होने की दशा में परिवार पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बीमारी से बचाव ही सबसे अच्छा रास्ता है। लगातार पांच साल तक साल में एक बार दवा के सेवन से व्यक्ति इस बीमारी से सुरक्षित रह सकता है। दवा खा चुके व्यक्ति में अगर फाइलेरिया के परजीवी होते हैं तो वह निष्क्रिय हो जाते हैं तथा उससे किसी अन्य के संक्रमित होने की आशंका नहीं रह जाती है।
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने कहा कि मच्छरों से बचाव बहुत जरूरी है और आई डी ए राउंड में दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़ कर सभी को दवा का सेवन करना है। उन्होंने कहा कि अगस्त में होने वाले सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान में हम सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
प्रशिक्षक डॉ अनिकेत कुमार (पाथ) ने फाइलेरिया रोग उसके प्रसारऔरकुशल प्रबंधन के लिए फाइलेरिया मरीजों को प्रशिक्षित किया| और फाइलेरिया के प्रसार को रोकने के उपाय बताये|
फाइलेरिया नेटवर्क से जुड़े दीपक ने बताया कि यह बीमारी इतनी ख़तरनाक है, कि इस बीमारी के चलते मेरी शादी टूट गयी|
वहीँ नेटवर्क सदस्य पूजा सिंह जो पेशे से शिक्षक हैं, उन्होंने बताया कि एक शिक्षक होने के नाते मेरा आत्मविश्वास हमेशा ऊँचा रहता था, लेकिन इस बीमारी के होते ही मेरा पूरा आत्म विश्वास डगमगा गया|
एक सदस्य ने बताया कि उन्हें यह भ्रान्ति थी, कि यह बीमारी अनुवांशिक होती है, क्योंकि तीन पीढ़ियों से यह बीमारी मेरे परिवार के सदस्यों को है, मेरे परबाबा, बाबा और मेरा पिता के बाद मैं चौथी पीढ़ी का सदस्य हूँ जिसे यह बीमारी हुयी| नेटवर्क से जुड़ने के बाद मुझे पता चला कि यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है|
नेटवर्क के सदस्य ने यह भी बताया कि इस बीमारी का कोई देशी- विदेशी इलाज नहीं है, सिर्फ़ सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर जाने पर और साल में एक बार दवा खाने पर ही इसको रोका जा सकता है| दवाई से इसके प्रसार को रोका जा सकता है, और उचित प्रबंधन से मरीज को आराम मिल सकता है|
इस प्रशिक्षण में सरसौल और कल्याणपुर ब्लॉक के 48 फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य, सीफार की नेशनल लीड, जिला और ब्लॉक समन्वयक मौजूद रहे| सबने आने वाले 10 अगस्त से चलने वाले अभियान में सबको दवा खिलाने की प्रतिज्ञा ली|