सिधौली,साझी शहादत और साझी विरासत आज के दौर की जरूरत : चन्द्रशेखर प्रजापति

सिधौली/सीतापुर। हमारा स्वाधीनता संग्राम हिन्दू और मुसलमानों के साझे संघर्ष की अद्भुत गाथा है। यह बड़े ही दुख और चिन्ता का विषय है कि आज हम हिन्दू-मुसलमान के नाम पर लड़ रहे हैं और इतिहास को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।

यह बात जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, सीतापुर द्वारा 19 दिसम्बर को शहीद स्मारक, सिधौली पर ‘साझी शहादत, साझी विरासत’ के रूप में आयोजित पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खाँ के शहादत दिवस पर आयोजित समारोह में डॉ. रिजवान अंसारी ने कही।

 डा. अंसारी ने कहा कि काकोरी काण्ड हमारे इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। ऐसा दूसरा उदाहरण विश्व के इतिहास में नहीं मिलता। यह हमारा दुर्भाग्य है कि इस इतिहास को विकृत करने का प्रयास किया जा रहा है और इतिहास के नायकों पर कीचड़ उछाला जा रहा है। अधिवक्ता एवं लेखक अनूप कुमार ने काकोरी काण्ड के तीनों नायकों 9के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये वह दौर था जब हिन्दू और मुसलमानों को साम्प्रदायिकता के आधार पर अलग-अलग करने की तहरीकें चल पड़ी थीं। एक ओर मुसलमान अशराफिया मुसलमानों को स्वाधीनता संग्राम से अलग कर रहा था, तो दूसरी  ओर पुनर्जागरण के नाम पर हिन्दुओं को भी संघर्ष से अलग करने वाले राग शुरू हो गए थे। ऐसे दौर में घोर आर्यसमाजी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल और निष्ठावान मुस्लिम अशफाक उल्ला खाँ ने एक ही दिन शहादत का जाम पीकर साम्प्रदायिक ताकतों के मुंह पर एक करारा तमाचा मारा था। अवधी और हिन्दी के कुशल कवि एवं साहित्यकार देवेन्द्र कश्यप निडर ने कहा कि तीनों क्रान्तिकारी हमारे साझे राष्ट्रीय संघर्ष के अदभुत नक्षत्र हैं, जिन्होंने देश के लाखों-करोड़ों लोगों को प्रेरणा दी और देश के स्वाधीनता संग्राम को नया आयाम मिला। उन्होंने काव्य पाठ करते हुए करते हुए कहा कि बनना है तो सबसे पहले तुम अच्छे इंसान बनो, विश्व प्रतिष्ठा दिलवाने को भारत देश महान बनो जिस पर श्रोताओं खूब तालियां बजायी। चन्द्रशेखर प्रजापति ने कहा कि साझी शहादत और साझी विरासत देश का स्वाभिमान है इसको चोट न पहुॅंचने पाये यह सत्संकल्प लेना चाहिए।  इस अवसर पर उन्होंने काव्यपाठ भी किया। कार्यक्रम के संयोजक अनुराग आग्नेय ने ऐसे आयोजनों की ज़रूरत पर बल देते हुए कहा कि नई पीढ़ी को यह बताने की ज़रूरत है कि भले ही हमारे धर्म अलग-अलग हो पर हम एक हैं, हमारी नस्ल एक है, हमारे पूर्वज एक हैं और उनके साझे रक्त ने ही हमारे देश और उसकी संस्कृति का निर्माण किया है। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता हरिनारायण सिंह ‘भोला बाबू’ आर.सी. यादव, दिग्विजय शुक्ला, भोलानाथ शर्मा, जाग्रत कुमार मिश्र, जिला पंचायत सदस्य गोविन्द प्रसाद, विकास गौतम, गजेन्द्र वाजपेयी, सूर्यभान सिंह, पंकज मिश्रा, परानू अवस्थी, अधिवक्ता सच्चिदानन्द शुक्ला, वरिष्ठ अधिवक्ता रामपाल भार्गव, आबिद अली, शिवेन्द्र मिश्रा, रामसागर पाल, लवलेश पाण्डेय, सुरेन्द्र शुक्ला और कौशल मौर्य आदि लोग मौजूद रहे।

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