शाहजहांपुर, दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि पौराणिक गाथाओं को समेटे है पटना देवकली शिव मंदिर

परम शिव भक्त लंकापति रावण ने भी यहां किया था जलाभिषेक

दिनेश मिश्रा


कलान-शाहजहांपुर
दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि पटना देवकली शिव मंदिर पौराणिक गाथाओं को समेटे है।
किवदंती है कि परम शिव भक्त लंका पथ महारथी रावण ने भी इस शिव मंदिर पर पूजा अर्चना और जलाभिषेक किया था। पटना देवकली में पूरे श्रावण भर विशाल मेला चलेगा। यह है मेला श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि से शुरू होकर श्रावण मास की पूर्णिमा को समाप्त होता है। आज सावन के दूसरे सोमवार को हजारों शिवभक्त जलाभिषेक कर शिव मंदिर पर माथा टेक कर मनोतियां मांगेंगे।


कलान कस्बे से 14 किलोमीटर दूर मुरादाबाद-फर्रुखाबाद स्टेट हाईवे से दक्षिण की दिशा में स्थित एक ऊंचा सा टीला।
इसी टीले पर बरसों पुराना विशालकाय प्राचीन भगवान शंकर का मंदिर है। जिसके लगे विशालकाय स्वामिनी सी झील और तालाब था। उसी झील मे काले स्याह विषधर नाग देवता वास करते थे। हालांकि जनसंख्या वृद्धि का विस्फोट होने के बाद झील और तालाब अब नहीं हैं।
इसी स्थान पर दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की तपोभूमि है। जहां दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने अपनी पुत्री देवयानी की शादी राजा ययाति के साथ रचाई थी। इसी स्थान पर प्राचीन काल में मंदिर के चारों तरफ जंगल में दैत्य गुरु शुक्राचार्य संजीवनी विद्या का ज्ञान दैत्य शिष्यों को दिया करते थे। यहां तक कि देव गुरु बृहस्पति देव के पुत्र कंच्च को इस संजीवनी विद्या का पूरा ज्ञान दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने ही सिखाया था। कंच्च ने इसी विद्या के तहत दैत्यों के महायुद्ध में मृत्यु शैया पर सोये कई दैत्यों को जीवित कर महाकाल में इस युद्ध की विजय श्री हासिल की थी।
किवदंती है कि इसी शिष्य कंच्च पर शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी खुद मोहित होकर उसे अपना मंगेतर बनाने को राजी हो गयी थी। लेकिन कंच्च ने उसे गुरु की पुत्री (बहन) मानकर इस संयोग को रजामंदी नहीं दी थी। क्योंकि बृहस्पति महाराज का पुत्र होने के नाते कंच्च सभी सैकड़ों शिष्यों में सबसे काबिल था।जिसने कई बार अपने गुरु शुक्राचार्य की मदद में हाथ बटाया था। यहां तक कि इसी शिष्य की कृपा से एक दिन भगवान शंकर के गणों में से इसी कंच्च ने अपने सभी दैत्य बंधुओं से इस शिव मंदिर का निर्माण चमत्कारिक तौर पर करने का बीड़ा उठाया था। जिसका काम रात्रि में अष्टमुखी भगवान शंकर की मूर्ति रखकर शिव मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया था।
बताते हैं कि मंदिर की आधारशिला ही रख पाई थी कि गांव पटना देवकली में किसी महिला ने चकिया चलाना शुरु कर दिया। सभी दैत्यों ने समझा कि सुबह हो गई है और हम लोगों की चमत्कारिक प्रक्रिया पर बट्टा लगेगा। दैत्यों ने तुरंत कार्य बंद कर दिया और वह जंगल में जा छिपे। फिर पुनः दोबारा दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य से मंदिर निर्माण की अग्रिम कार्यवाही के लिए सलाह मशवरा किया गया। दैत्य गुरु ने नकार दिया और कहा कि फिर तो दैत्यों की शक्ति क्षींण हो जायेगी। क्योंकि दैत्य अपना कार्य एक बार में ही करते हैं। समुद्र मंथन के समय भी दैत्यों ने यहीं भगवान शंकर की पूजा की थी।
इस पटना देवकली मंदिर के संबन्ध में यहां तक बताया जाता है कि परम शिव भक्त,लंकापति, महारथी रावण भी गोला गोकर्णनाथ (छोटी काशी) से अपनी स्वर्ण नगरी लंका को जाते समय वरणावृत (बाराकलां) में कुछ समय के लिए रुका और पटना देवकली मंदिर पर जलाभिषेक किया और मत्था टेक कर दैत्य गुरु शुक्राचार्य से भेंट कर के ही लंका को रवाना हुआ था। यहां तक की दस्यु सरगना पोथी,छविराम और दस्यु सरगना कल्लू यादव भी यहां घंटा चढ़ाने आता था।इस शिव मंदिर के समीप झील रूपी झाड़ियों में काले स्याह जहरीले नाग विचरण करते हैं।
शिवभक्त यहां तक बताते हैं कि नाग शिव मंदिर में दूध आदि का सेवन करने आते हैं। लेकिन आज तक इन विषधरों ने किसी भी शिव भक्त को अपना शिकार नहीं बनाया। शिवभक्त फर्श (जमीन) पर ही अपना आशियाना बना कर पूरे श्रावण माह में यहां श्रद्धा भाव से मत्था टेककर मन्नते मांगते हैं।
इस शिव मंदिर पर श्रद्धालु अपने पुत्रों-पौत्रों आदि का मुंडन संस्कार,अन्नप्राशन संस्कार,पाणि ग्रहण संस्कार,वाहन पूजन आदि कराते हैं। यहां तक कि आस्था है कि जो भक्त मंदिर पर जो भी मनोकामना करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस मंदिर पर जाते समय रास्ते में पतेल झुण्डों में मनोकामना पूर्ण करने के उद्देश्य से भक्त गांठ लगाते हैं।जिसे श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर गाजे-बाजे के साथ लगायी गयी गांठ को खोलने आते हैं।इस दृश्य को पूरे वर्ष के प्रत्येक सोमवार को देखा जा सकता है। पटना देवकली शिव मंदिर पर प्रदेश के कई जनपदों और देश के कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं। हालांकि इस वर्ष दो श्रावण होने की वजह से यह मेला दो माह लगेगा और 29 अगस्त को समाप्त होगा। कलान के प्रभारी निरीक्षक एवं मेला प्रभारी गौरव त्यागी ने जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से मेले में सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात है। जिसमें जलालाबाद के क्षेत्राधिकारी अजय कुमार राय को मेले का नोडल अधिकारी बनाया गया है। मेले में स्वास्थ्य विभाग की टीम,एंबुलेंस,दमकल वाहन,अग्निशमन, सीसीटीवी कैमरे,कई प्रभारी निरीक्षक गण, उपनिरीक्षक गण,हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल,महिला कांस्टेबल, होमगार्ड,चीता मोबाइल तथा एक प्लाटून पीएसी की ड्यूटी लगायी गयी है। उन्होंने बताया कि मेला को सुरक्षा की दृष्टि से एक जोन और चार सेक्टरों में बांटा गया है। श्री त्यागी ने बताया कि मेले में जेब कतरों,छेड़छाड़ करने वाले मनचलों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इन पर नजर रखने के लिए सिविल ड्रेस में फोर्स को लगाया गया है।

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