हरदोई, हमारी अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक है और यही अखंड भारत की संकल्पना है: अजय

हरदोई,(अम्बरीष कुमार सक्सेना)
आगमपुर के अनीतादेवी ए बी सिंह इण्टर कालेज में सैकड़ों विद्यार्थियों के साथ अखण्ड भारत कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक अजय ने कहा कि भारतवासियों को आज भी सही इतिहास की जानकारी नहीं है।हमारा इतिहास आज के भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान से लेकर कम्बोडिया लाओस और तिब्बत भूटान से लेकर श्रीलंका तक फैला है। हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्मं के मंदिर अफगानिस्तान, कम्बोडिया तिब्बत यहां तक की चीन और जापान में भी मिलते हैं। शारदा पीठ और हिंगला माता का मंदिर पकिस्तान में है। कम्बोडिया में अंकोर वाट का विश्व का सबसे बड़ा मंदिर है, ढाकेश्वरी माता का मंदिर बांग्लादेश के ढाका में है। भगवान शंकर का कैलाश पर्वत और मानसरोवर भी आज चीन का हिस्सा है। प्रमाण हर जगह हैं, जरूरत है तो सिर्फ आंखे खोलने की।


उन्होंने बताया कि कांग्रेस के नेताओं के चलते विभाजन के समय पाक अधिकृत कश्मीर और 1962 में अक्साई चीन हमारे दुश्मन देशों के कब्जे में चला गया। इससे पूर्व 1876 में अफगानिस्तान, 1904 में नेपाल, 1906 में भूटान, 1914 में तिब्बत, 1935 में श्रीलंका, 1937 में म्यामार और फिर 1947 में पाकिस्तान हमसे अलग हुआ।


विश्वासघात से देश दो टुकड़ों में बंटा
भारत विभाजन की नींव तो अंग्रेजों ने 1904 में ही बंग भंग के रूप में डाल दी थी, जिसका पुरजोर विरोध पूरे भारत में हुआ। ढाका के नवाब समीउल्ला खान ने इसका जबरदस्त विरोध किया, अंग्रेज अपने कुचक्र में असफल रहे, लेकिन कालांतर में क्या हुआ कि उन्हीं समीउल्ला खान ने मुस्लिम लीग की स्थापना की। इसके बाद 1946 में देश में चुनाव हुए, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच। चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला पर वो विभाजन को रोक नहीं पायी। देश के साथ विश्वासघात हुआ और देश दो टुकड़ों में बंट गया।
जिन लोगों ने 1937 में रावी नदी के जल को हाथ में लेकर प्रतिज्ञा की थी देश को आजादी दिलाएंगे वे कैसे 1947 में अधूरी आजादी के लिए राजी हो गए? इसी आजादी के फलस्वरूप हमारे देश का अत्यंत रक्तरंजित विभाजन हुआ। पाकिस्तान जाने वाले लोग तो सुरक्षित जाते थे, पर उधर से ट्रेनों में लाशें भर-भरकर आती थीं। वोक्क्ला नरसंहार हुआ, उसे सहन किया गया, हिन्दू हितों के कर्मयोगी स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे की सजामाफी पर गांधी जी ने हस्ताक्षर किये पर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की सजा माफी पर चुप रहे।
चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनगिनत क्रान्तिकारियों ने बलिदान दिया उन्हें भुला दिया गया। उन्होंने आगे कहा अखंड भारत कोई असम्भव स्वप्न नहीं है। खंडित देशों के पुनः अखंड होने के कई उदहारण हैं। जर्मनी, वियतनाम आदि देश हाल में ही एक हुए हैं। इजराइल जैसा देश अठारह सौ साल की लम्बी लड़ाई के बाद अपनी मातृभूमि पा सका और आज चारों तरफ दुश्मनों से घिरा होने के बाद भी सीना ताने खड़ा है। देश तो बनते और टूटते हैं, लेकिन राष्ट्र कभी टूटता नहीं है। भले ही हमारी राजनीतिक इकाइयां अलग-अलग हों लेकिन सांस्कृतिक एकता अक्षुष्ण रहनी चाहिए। हमारी अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक है और यही अखंड भारत की संकल्पना है।
आरएसएस अपने स्थापना काल से ही हर वर्ष 14 अगस्त को अखंड भारत संकल्प दिवस मनाता आया है। परंतु, समाज का एक बड़ा हिस्सा इस बात को भूलता जा रहा है कि जब भारत अखंड था तो कैसा था।
इस अवसर पर प्रबंधक ए बी सिंह, खण्ड संघचालक संजय मोदी,शिक्षक एवं बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

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