हरदोई।
स्मृतिशेष कवि जयशंकर मिश्र की पुण्यतिथि पर संस्कार भारती द्वारा कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि निशानाथ अवस्थी निशंक ने की। कार्यक्रम मां शारदे की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर प्रारंभ हुआ तथा कवि जयशंकर मिश्र को पुष्प सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।अगली कड़ी में हरदोई जनपद के विशिष्ट कवि सुरेन्द्र नाथ अग्निहोत्री एवम् मदन मोहन पाण्डेय का विशेष सम्मान किया गया। गोष्ठी का प्रारंभ आकांक्षा गुप्ता की वाणी वंदना “राष्ट्र के यज्ञ में तन ये संविधा बने बस यही कामना मेरी मां शारदे” से हुआ। नवोदित कवयित्री पल्लवी मिश्रा ने “जिसको देखते ही काम मर जाए, ऐसी प्रीति की भव्यता दूं मैं।
” पढ़कर तालियां बटोरीं। कवियत्री आकांक्षा गुप्ता ने “जिंदगी की जटिलता है वट वृक्ष सी और अनुभव मेरा नवसृजित बेल है।” पढ़कर खूब तालियां बटोरी। कवि विमल कुमार शुक्ला ने “ भंवरे ने क्या फूक दिया है मंत्र काली के कान में खिल खिल करके खुशबू हंस दी कर दी जग को दान में।” पढ़कर वाह वाही लूटी।हरदोई के ही शायर गीतेश दीक्षित की कविता “गमों की धूम में हूं वफा की छांव बन जाओ, सहर की बेरुखी छोड़ो हमारा गांव बन जाओ।” खूब सराही गई। कवि धीरज चित्रांश ने “जल रहा कुछ हृदय में जल रहा।” गीत पढ़ा। कवि वैभव शुक्ला ने “दुनिया वालों ने घर सिर्फ जिसको कहा, स्वर्ग उसको बनाया है मां बाप ने” पढ़ा। संस्कार भारती के उपाध्यक्ष अभिनव दीक्षित ने “जय सनातन जय सनातन जय सनातन, विश्व के कल्याण का यह पथ सनातन” पढ़ा।
विजय मिश्र के आयोजन में के के अवस्थी, मनीष त्रिपाठी, रोहित सिंह आदि सपरिवार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन संयोजक सतीश शुक्ला की पंक्तियां “मन में राम है तन में राम दुनिया के कण कण में राम” से तथा सभी कवियों को उत्तरीय भेंट कर हुआ।