शाहाबाद( हरदोई) सूबे में भले ही सत्ता पर भाजपा काबिज हो,परंतु अधिकारियों की मानसिकता में परिवर्तन नहीं हुआ है। अधिकारी आज भी मनमाने ढंग से अनैतिक कार्यों को अंजाम देने में लगे हुए हैं जिनके इशारे पर दलालों का चंहुओर बोलबाला देखने सुनने में आ रहा है। इस मामले में जिले का शाहाबाद तहसील अव्वल बना हुआ है। बात करें, तहसील की या रजिस्ट्री ऑफिस की तो दोनों ही कार्यालयों में दलालों और प्राइवेट कर्मियों का बोलबाला है। प्राइवेट कर्मियों तथा दलाल और बिचौलियों के इशारे पर हर वह अनैतिक कार्य को बखूबी अंजाम दे दिया जाता है। जो कायदे-कानून के लिहाज से उचित नहीं कहा जा सकता है।यहां सब कुछ पैसे की माया और दलालों- बिचौलियों के जरिए सुगमता पूर्वक संपन्न करा दिया जाता है।तहसीलदार,उपनिबंधक और उपजिलाधिकारी द्वारा कंप्यूटर कक्ष में नियुक्त प्राइवेट कर्मियों द्वारा जमीनों में हेराफेरी फर्जी रजिस्ट्री या अन्य काम सब कुछ बड़े ही गोपनीय ढंग से संपन्न करा दिया जाता है। जिसकी लोगों को कानों-कान भनक तक नहीं होने पाती है। यों कहे कि राजा को पता नहीं और “भील वन बांट आये” कि युक्ति यहां सटीक बैठती है। गौर करें तो नगर में भूमि विवाद से संबंधित दर्जनों ऐसे मामले हैं जो दलालों और बिचौलियों द्वारा पैदा किए गए हैं। जिसका दर्द आज भी कई लोगों को झेलना पड़ रहा है। मजे की बात यह है कि ऐसे मामलों में शिकायत के बाद भी प्रशासन द्वारा निस्तारण की धीमी प्रक्रिया के चलते मामले लंबे अरसे से लंबित पड़े हुए हैं। वहीं भूमि के खरीद फरोक्त में जुटे प्राइवेट कर्मी, दलाल और बिचौलिए दिनोंदिन ऐसे मामलों को अंजाम देते जा रहे हैं। जिन पर शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई संभव नहीं हो पा रहा है। थाने से लेकर तहसील, रजिस्ट्री ऑफिस तक इनका बोलबाला देखने सुनने में आ रहा है। तहसील तथा रजिस्ट्री ऑफिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर नगर के कुछ प्रबुद्ध जनों ने मुख्यमंत्री सहित शासन में बैठे अधिकारियों से इस बात की शिकायत करने के साथ पिछले कुछ वर्षों से लेकर अब तक हुए रजिस्ट्री बैनामा इत्यादि सहित कई राजस्व मामलों की जांच कराने की मांग की है ताकि फर्जीवाड़े का खुलासा हो सके। शाहाबाद नगर सहित नगर से लगे इलाकों में भूमि विवाद के कई मामले लंबित है जो इन्हीं दलालों और बिचौलियों की उपज हैं। इन दिनों अकेले शाहाबाद नगर में ही कुछ सुसंगठित लोगों का एक गिरोह ऐसे कामों को अंजाम देने में जुटा हुआ है जो राजस्व कर्मियों, उप निबंधक कार्यालय शाहाबाद तथा इलाकाई पुलिस से साठगांठ कर ऐसे मामलों को अंजाम देता आ रहा है।भूलेख कार्यालय के एक प्राइवेट कंप्यूटर ऑपरेटर की वजह से तत्कालीन उपजिलाधिकारी अतुल प्रकाश श्रीवास्तव को भी शर्मसार होना पड़ा था।जिस प्राइवेट ऑपरेटर ने सिकंदरपुर कल्लू गांव के रवींद्र पुत्र प्यारे की जमीन सुविधा शुल्क लेकर मौलागंज, शाहाबाद के शाहिद अली के नाम दर्ज कर दी थी। उस भ्रष्ट कंप्यूटर ऑपरेटर को दो साल बाद पुनः प्राइवेट कर्मी के रूप में तहसील में नियुक्त कर दिया गया है।जिस प्रकरण में एक बैंक मैनेजर और शाहिद को जेल की हवा खानी पड़ी।मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है।बाबजूद उसके तहसील प्रशासन ऐसे नाकारा लोगों की सेवाएं तब ले रहा है।जब जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने सरकारी दफ्तरों में प्राइवेट कर्मियों की सेवाएं न लिए जाने के निर्देश दे रखे हैं।ऐसे प्राइवेट कंप्यूटर ऑपरेटरों से ना केवल विवादों को बल मिला है बल्कि पीड़ित पक्ष कचहरी के साथ न्यायालयों का चक्कर काटने को विवश है। मजे की बात है कि न्यायालय में विचाराधीन मामलों में भी दलालों और बिचौलियों के माध्यम से सारे कायदे कानून तथा न्यायालय व्यवस्था को धता बताते हुए अपने कार्यों को इन लोगों द्वारा बखूबी अंजाम दे दिया जा रहा है। जिसमें तहसील के अधिकारियों एवं पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। तहसील के कुछ राजस्व कर्मियों की भी इस मामले में भूमिका संदिग्ध है जो नगर के कुछ भूमाफियाओं, दलालों के इशारे पर नाचने को विवश हैं।
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