हरदोई, जब मनुष्य के पास सद्विचारों का प्रकाश आता है, तो उसे शाश्वत आह्लाद की संप्राप्ति होती है: अम्बरीष

हरदोई। पुरवा पिपरिया में शिव सत्संग मंडल द्वारा आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में धर्म प्रेरक अंबरीष कुमार ने कहा कि शिव सत्संग मण्डल, ऋषियों मुनियों एवं संत परंपरा से समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है। श्रद्धालुओं से कहा कि सभी सत्संग परिवार संस्कारित होकर समाज व देश के निर्माण में योगदान दें।समाज निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाएं। सनातन संस्कृति में कर्म प्रधान है।कर्म ही आपका धर्म है। बताया कि विदेशी संस्कृतियां सत्ता प्राप्ति का एक साधन हैं।
कहा कि देवों के देव महादेव सभी के परमपिता हैं।महादेव की शक्ति भारतीय ग्रंथों में वर्णित है।प्रभु से यही विनती है कि जनकल्याण करने का आशीर्वाद देते रहें।कहा कि सत्संग से विभिन्न स्थानों पर जाने का अवसर प्रभु कृपा से ही मिलता है।
श्रद्धावान, साधना में तत्पर और जितेन्द्रिय मनुष्य ज्ञानको प्राप्त होता है, ज्ञानको प्राप्त होकर वह तत्काल ही उत्कृष्ट शांतिको प्राप्त होता है ।
आध्यात्मिक अंतःकरण संपन्न मनुष्य की समस्त सांसारिक एषणायें, प्रवृत्तियां शांत, अंतर्मुखी और स्थिर हो जाती हैं। शांति का मूल आधार केवल आध्यात्मिक विचार ही है । संसार के त्रिविध तापों और क्लेशों में उलझा मनुष्य अशांत, व्यग्र, असहज, असंतुलित और अत्यन्त विचलित रहता है। इसका एक ही कारण है कि, उसके पास सही विचार, दिशा और दशा नहीं है। जब मनुष्य के पास सद्विचारों का प्रकाश आता है, तो उसे शाश्वत आह्लाद की संप्राप्ति होती है। आनंद का अर्थ है, प्रसन्नता, शांति, स्फूर्ति, उमंग और उल्लास का आना। प्रसन्नता वस्तु और पदार्थ सापेक्ष नहीं अपितु विचार सापेक्ष है।
उन्होंने कहा कि शिव आराधना से लौकिक,पारलौकिक सुख ऐश्वर्य व आनंद प्राप्त होता है।
शिव स्तुति करने सेे मन
में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। आध्यात्मिक शक्तियों से स्व परिवर्तन
के साथ साथ वैश्विक परिवर्तन संभव हो जाता है। परमात्मा का प्रकाशस्वरूप
से ध्यान करने मात्र से जीवन में अलौकिक बदलाव आता है।
शिव सत्संग मंडल के मंडल अध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि धर्म पर जो चला वह उन्नति की ओर बढ़ा।ध्यान और भजन से मनुष्य एक बेहतर इंसान बनता है। अटूट श्रद्धा और विश्वास से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
कहा कि साधना के पथ पर अग्रसर होकर हमें जो भी ऐश्वर्य,ज्ञान,धन आदि मिले, उससे शुभ कार्य करें।समाज की सेवा करें।जरूरत मंद पर व्यय करें। हमें गर्व होना चाहिए कि हम त्रिकालदर्शी ऋषियों की संतान हैं।हम परमेश्वर के विशुद्ध तेज का ध्यान करें।परमेश्वर हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।
कहा कि सज्जनो से जुड़ें और समाज को अच्छा बनायें। धर्म अध्यात्म में लोक कल्याण सर्वोपरि होता है।
इस आध्यात्मिक सत्संग का शुभारंभ डॉक्टर रामावतार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। बहन रचना वंदना ने सामूहिक ईश प्रार्थना प्रस्तुत की।
समापन पर सभी सत्संगी जनों ने रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में उठकर प्रभु का सुमिरन करने का शिव संकल्प लिया।
इस आध्यात्मिक सत्संग में गेंदन लाल राम प्रताप, रामकिशोर अमित प्रेम कुमार व्यवस्था प्रमुख यमुना प्रसाद,महेश रामनिवास, रमाकांत मोहित राजपूत अनुराग श्रीवास्तव अजय कुमार गुप्ता अभिषेक श्रीवास्तव योग प्रशिक्षक सत्यम सक्सेना सहित सैकड़ो लोगों ने सहभागिता की।

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