सीतापुर, सेप्टिक टैंक बना ‘मौत का कुआं’: मासूम को बचाने उतरे 3 लोगों की जहरीली गैस से दर्दनाक मौत,
सीतापुर में मातम: दिल दहला देने वाली घटना में 3 बहादुरों का बलिदान

सीतापुर, उत्तर प्रदेश: सीतापुर जिले के सकरन थाना क्षेत्र के सुकेठा गांव में रविवार को एक हृदय विदारक हादसा हुआ, जिसने पूरे गांव को शोक के सागर में डुबो दिया। पानी से भरे एक सेप्टिक टैंक में डूब रहे 10 वर्षीय मासूम को बचाने की कोशिश में गांव के तीन बहादुर व्यक्तियों की जान चली गई, जिनकी मौत जहरीली गैस के कारण हुई। इस दुखद घटना में, भले ही बच्चा सुरक्षित बच गया, लेकिन उसकी जान बचाने वालों का बलिदान पूरे गांव के लिए एक गहरा सदमा बन गया है।

जानलेवा बहादुरी का दर्दनाक अंत
यह घटना तब हुई, जब सुकेठा गांव का 10 वर्षीय विवेक कुमार गुप्ता पानी से भरे सेप्टिक टैंक में गिर गया। उसकी चीख सुनकर, सबसे पहले गांव के ही अनिल कुमार (लगभग 35 वर्ष), राजकुमार (लगभग 50 वर्ष), और रंगी लाल (लगभग 45 वर्ष) मौके पर पहुंचे। बिना एक पल सोचे, इन तीनों ने विवेक को बचाने के लिए टैंक में छलांग लगा दी। उनकी इस बहादुरी ने बच्चे की जान तो बचा ली, लेकिन वे खुद मौत के जाल में फंस गए।

जहरीली गैस बनी काल
अंदर जाते ही, उन्हें यह महसूस हुआ कि टैंक के भीतर जानलेवा जहरीली गैस मौजूद है। ऑक्सीजन की कमी और गैस के जहरीले प्रभाव के कारण तीनों व्यक्ति कुछ ही पलों में बेहोश हो गए। स्थानीय लोगों की मदद से विवेक को तुरंत बाहर निकाल लिया गया, लेकिन अनिल, राजकुमार और रंगी लाल अंदर ही फंसे रहे। कड़ी मशक्कत के बाद, तीनों को बाहर निकाला गया और तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।

गांव में पसरा मातम, पुलिस जांच में जुटी
इस त्रासदी की खबर सुनते ही, पूरा सुकेठा गांव गमगीन हो गया। मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया। उनके घरों से उठ रही चीखें और मातम की आवाजें हर किसी का दिल दहला रही थीं। अनिल, राजकुमार और रंगी लाल को पूरे गांव में उनके साहस और नेकदिली के लिए जाना जाता था। उनके बलिदान ने उन्हें हमेशा के लिए गांव के नायकों के रूप में अमर कर दिया है।

घटना की सूचना मिलते ही, सकरन थाना पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इस घटना ने एक बार फिर सेप्टिक टैंकों और अन्य बंद जगहों की साफ-सफाई के दौरान बरती जाने वाली लापरवाहियों और सुरक्षा नियमों की अनदेखी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
