
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
अटरिया सीतापुर: सीतापुर के अटरिया में 19 अगस्त को एक दर्दनाक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुई छात्रा के पिता ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। पिता का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझकर दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी का नंबर बदल दिया है ताकि असली दोषियों को बचाया जा सके। यह मामला अब अधिकारियों के हस्तक्षेप की मांग कर रहा है।

पीड़ित छात्रा के पिता( रमेश)
क्या है पूरा मामला?
अटरिया के उमापुर मजरा सरोरा के रहने वाले रमेश ने 25 अगस्त को सिधौली के क्षेत्राधिकारी को एक लिखित शिकायत दी है। शिकायत के अनुसार, 19 अगस्त 2025 की सुबह उनकी 18 वर्षीय बेटी संध्या, जो कि एक छात्रा है, साइकिल से स्कूल जा रही थी। नीलगांव रोड पर, UP 32 ZN 7257 नंबर की एक तेज़ रफ़्तार इको वैन ने लापरवाही से चलाते हुए उसे जोरदार टक्कर मार दी।
हादसे के तुरंत बाद, गंभीर रूप से घायल संध्या को पास के हिंद अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। जब उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उसे लखनऊ के केके अस्पताल, डालीगंज में रेफर किया गया। फ़िलहाल, संध्या आईसीयू में वेंटिलेटर पर ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रही है।


पुलिस पर गाड़ी का नंबर बदलने का आरोप
पीड़ित रमेश का कहना है कि घटना की सूचना तत्काल पुलिस को दी गई थी, और डायल 112 की पीआरबी 6051 की टीम मौके पर पहुँची। लेकिन, पुलिस ने उन्हें जो FIR की कॉपी दी, उसमें दुर्घटनाग्रस्त वाहन का नंबर UP 32 ZN 7297 लिखा था, जबकि असल में गाड़ी का नंबर UP 32 ZN 7257 है। रमेश ने दावा किया है कि असली गाड़ी अभी भी अटरिया थाने में खड़ी है।

ग्रामीणों ने हादसे के बाद गाड़ी के चालक, पवन कुमार, को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। पीड़ित पिता ने अपनी शिकायत में यह भी बताया है कि वह एक गरीब व्यक्ति हैं और अपनी बेटी के इलाज के लिए अपने खेत और वाहन तक बेच चुके हैं, फिर भी वह इलाज का पूरा खर्च नहीं उठा पा रहे हैं।
रमेश का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझकर नंबर बदला है ताकि दोषियों और वाहन मालिक को बचाया जा सके। उन्होंने उच्च अधिकारियों से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और उन्हें न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। यह घटना पुलिस की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
गंभीर रूप से घायल संध्या लखनऊ के डालीगंज स्थित के0 के0 हॉस्पिटल में आईसीयू में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। पिता रमेश ने बताया कि बेटी के इलाज में अब तक करीब 6 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। खेत बेचने से लेकर पत्नी के जेवर तक गिरवी रखने पड़े हैं। रोजाना लगभग 50 हजार रुपए का खर्च इलाज में आ रहा है, फिर भी पुलिस आरोपियों को बचाने में लगी है।
एनसीआर में नंबर बदलने के प्रकरण में अटरिया स्टेशन अफसर सहित जांच निरीक्षक, बीट अधिकारी ही नहीं समूची अटरिया पुलिस की कार्य शैली पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है
पीड़िता के पिता ने अपनी तहरीर में एसएचओ अटरिया, बीट इंचार्ज समेत पूरे थाना स्टाफ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
