
संवाददाता,,, नरेश गुप्ता
अटरिया सीतापुर: नहर विभाग ने अटरिया माइनर के किनारे अवैध कब्ज़े हटाने के लिए दुकानदारों को नोटिस जारी किया था, लेकिन ऐसा लगता है कि इस नोटिस का उन पर कोई खास असर नहीं हुआ है। नहर विभाग ने उत्तर प्रदेश कैनाल एवं ड्रेनेज एक्ट, 1973 की धारा 70 के तहत यह सख्त कार्रवाई की थी, जिसमें दुकानदारों को सिर्फ दो दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने की मोहलत दी गई थी। अधिकारियों ने यह चेतावनी भी दी थी कि अगर अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो बुलडोजर चलाकर इन अवैध निर्माणों को ढहा दिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
अटरिया माइनर नहर के किनारे अवैध रूप से बनी दुकानों के कारण नहर के रखरखाव और पानी के बहाव में लंबे समय से बाधा आ रही थी। स्थानीय लोगों और किसानों ने इस समस्या की कई बार शिकायत की थी, जिसके बाद नहर विभाग ने कार्रवाई करने का फैसला किया। विभाग का कहना है कि ये दुकानें न सिर्फ सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा हैं, बल्कि नहर की सुरक्षा और सफाई के लिए भी खतरा हैं।

दुकानदारों में हड़कंप, लेकिन फिर भी नहीं दिख रहा असर
शुरुआत में, नहर विभाग के नोटिस से दुकानदारों में खलबली मच गई थी। कई दुकानदार तो दशकों से यहाँ दुकानें चला रहे हैं और उनकी आजीविका इन्हीं पर निर्भर है। कुछ ने विभाग से मोहलत की अपील भी की थी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि नोटिस की गंभीरता को अनदेखा किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, दुकानदार अब अधिकारियों को सुविधा शुल्क (रिश्वत) देकर इस कार्रवाई से बचने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वे अधिकारियों से ‘समझौता’ करके अपनी दुकानें बचाने की कोशिश में हैं।
क्या कहती है धारा 70?
उत्तर प्रदेश कैनाल एवं ड्रेनेज एक्ट, 1973 की धारा 70 “नहरों या नालियों पर अतिक्रमण” से जुड़ी है। इस धारा के अनुसार, कोई भी व्यक्ति नहर या उससे संबंधित ज़मीन पर अनधिकृत निर्माण या कब्ज़ा नहीं कर सकता। अगर कोई ऐसा करता है, तो सिंचाई विभाग उसे नोटिस जारी कर सकता है। नोटिस के बाद भी अतिक्रमण न हटाने पर विभाग खुद उसे हटा सकता है और इसका पूरा खर्च अतिक्रमण करने वाले से वसूल किया जाता है। इस धारा का उल्लंघन करने पर जुर्माना या जेल, या दोनों की सज़ा भी हो सकती है।

इस पूरे मामले में अब सबकी नज़रें नहर विभाग पर हैं कि क्या वह अपनी कार्रवाई पर अडिग रहेगा या फिर दुकानदारों के ‘समझौते’ के सामने झुक जाएगा। अगर विभाग इस मामले में ढिलाई बरता है, तो यह कानून और प्रशासन दोनों की छवि के लिए अच्छा नहीं होगा।
