
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
ग्रामीण एकता ने संवारी राह: शिवपुरी गांव में ग्रामीणों ने खुद ठीक की जर्जर सड़क
अटरिया सीतापुर, : सीतापुर जनपद के विकासखंड सिधौली क्षेत्र में स्थित शिवपुरी मजरा सोरोरा गांव के निवासियों ने एक अद्भुत मिसाल पेश की है। वर्षों से जर्जर और खस्ताहाल हो चुकी गांव की मुख्य सड़क की मरम्मत के लिए जब उन्हें प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, तो उन्होंने खुद ही मोर्चा संभाल लिया।
बता दे गाँव के ही निवासी लल्लू, एव वीरेंद्र के साथ कई अन्य ग्रामीणों ने न सिर्फ आर्थिक सहयोग किया, बल्कि शारीरिक श्रमदान करके भी इस कठिन कार्य को संभव बनाया।
अटरिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस गांव को जोड़ने वाली सड़क की हालत इतनी खराब थी कि उस पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया था। जगह-जगह गहरे गड्ढे और बिखरी हुई गिट्टियों के कारण ग्रामीणों को, खासकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को, भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। बारिश के मौसम में तो यह रास्ता पूरी तरह से दलदल में तब्दील हो जाता था, जिससे गांव का बाहरी दुनिया से संपर्क लगभग टूट सा जाता था।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से सड़क की मरम्मत के लिए गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रशासन की ओर से मदद की कोई उम्मीद न देखकर ग्रामीणों ने आपस में विचार-विमर्श किया और खुद ही इस समस्या का समाधान निकालने का फैसला किया। गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर एक योजना बनाई, जिसके तहत सभी घरों से यथासंभव आर्थिक योगदान इकट्ठा किया गया।
इस धनराशि का उपयोग सड़क मरम्मत के लिए आवश्यक सामग्री, जैसे कि मिट्टी, गिट्टी और मोरंग, खरीदने में किया गया। इसके बाद, सभी ग्रामीण एकजुट होकर सड़क पर उतरे और घंटों तक श्रमदान कर उसे आवागमन योग्य बनाया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी ने अपने हिस्से का काम पूरी निष्ठा से किया।
सड़क की मरम्मत के दौरान एक ग्रामीण ने बताया, “यह सिर्फ एक सड़क नहीं है, यह हमारे जीवन का हिस्सा है। इस रास्ते से हमारे बच्चे स्कूल जाते हैं, हमारे परिवार के लोग काम पर जाते हैं। जब यह रास्ता ही खराब हो गया था, तो हमारा जीवन थम सा गया था। प्रशासन से थक हारकर हमने खुद ही यह जिम्मेदारी उठाई।”
ग्रामीणों की इस पहल की अब चारों ओर प्रशंसा हो रही है। यह घटना दर्शाती है कि जब लोग एकजुट हो जाते हैं और ठान लेते हैं, तो वे किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। शिवपुरी गांव के निवासियों ने न सिर्फ अपनी समस्या का समाधान किया, बल्कि सामुदायिक सहयोग और आत्मनिर्भरता का एक सशक्त उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। यह उम्मीद की किरण जगाता है कि छोटी-छोटी कोशिशों से भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
