
संवाददाता नरेश गुप्ता
अटरिया (सीतापुर): सीतापुर जिले के अटरिया क्षेत्र में इन दिनों ‘झोलाछाप’ पशु डॉक्टरों का आतंक चरम पर है। ये अप्रशिक्षित और गैर-पंजीकृत डॉक्टर भोले-भाले पशुपालकों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं और इलाज के नाम पर मनमानी वसूली कर रहे हैं। इनके पास न तो कोई वैध डिग्री है और न ही पशु चिकित्सा का पर्याप्त ज्ञान, फिर भी ये खुद को ‘डॉक्टर’ बताते हैं और गांव-गांव घूमकर पशुओं का इलाज करते हैं।
इलाज के नाम पर मनमानी लूट
क्षेत्र के कई पशुपालकों ने शिकायत की है कि जब उनके पशु बीमार पड़ते हैं तो वे इन ‘झोलाछाप’ डॉक्टरों को बुलाते हैं। ये डॉक्टर सामान्य बीमारी के लिए भी ऊंचे दाम वसूलते हैं। एक पशुपालक ने बताया कि उसके जानवर को मामूली बुखार था, जिसके लिए डॉक्टर ने ₹500 से ज्यादा वसूल लिए, जबकि दवा की कीमत बहुत कम थी। इतना ही नहीं, ये लोग इलाज के दौरान महंगी और गैर-जरूरी दवाएं भी लिखते हैं, जिससे पशुपालकों पर आर्थिक बोझ और बढ़ जाता है।

अज्ञानता और जागरूकता की कमी का फायदा
अटरिया क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पशुपालकों में जागरूकता की कमी है। उन्हें यह नहीं पता कि असली पशु चिकित्सक कौन है और कौन ‘झोलाछाप’। इस अज्ञानता का फायदा उठाकर ये लोग अपना धंधा चला रहे हैं। कई बार गलत इलाज के कारण पशुओं की स्थिति और बिगड़ जाती है, जिससे पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
जानलेवा भी हो सकता है इलाज
इन ‘झोलाछाप’ डॉक्टरों द्वारा दिया जाने वाला इलाज सिर्फ महंगा ही नहीं, बल्कि जानलेवा भी हो सकता है। गलत दवाएं और गलत मात्रा में दी गई इंजेक्शन पशुओं के लिए घातक साबित हो सकते हैं। कई मामलों में पशुपालकों ने अपने बीमार पशुओं को खो दिया है, जिसका मुख्य कारण इन फर्जी डॉक्टरों का गलत इलाज था।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर चुप्पी साधे हुए है। पशु चिकित्सा विभाग को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें इन फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए और उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए। इसके साथ ही, ग्रामीण इलाकों में पशुपालकों को जागरूक करने के लिए भी कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए, ताकि वे असली और नकली डॉक्टरों में फर्क कर सकें।
पशुपालकों की मांग
क्षेत्र के पशुपालकों ने प्रशासन से मांग की है कि इस समस्या पर तुरंत ध्यान दिया जाए। उन्होंने आग्रह किया है कि इन ‘झोलाछाप’ डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि पशुपालकों को सही इलाज मिल सके और उनकी आर्थिक लूट बंद हो।
