
संवाददाता,, नरेश गुप्ता
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सीतापुर, उत्तर प्रदेश: सीतापुर के एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने साल 2019 में 7 साल की बच्ची के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म और हत्या के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो कोर्ट) भगीरथ वर्मा ने आरोपी नीलू को फांसी की सजा सुनाई है, जिससे 6 साल बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला है।
यह दिल दहला देने वाली घटना 12 मई 2019 को सीतापुर के इमलिया सुल्तानपुर थाना क्षेत्र में हुई थी। आरोपी नीलू ने अपने घर के पास खेल रही एक 7 साल की मासूम बच्ची का अपहरण किया। इसके बाद उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और उसकी गला घोंटकर बेरहमी से हत्या कर दी। घटना के बाद आरोपी नीलू ने बच्ची के शव को उसके घर के पास ही एक पेड़ के नीचे छिपा दिया था।
अगले दिन, जब परिवार ने बच्ची की तलाश शुरू की, तो उसका शव बरामद हुआ। इस जघन्य अपराध ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया था। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की और जांच के बाद आरोपी नीलू को गिरफ्तार किया।
पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर, कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध पाया। इस केस में अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक, जितेंद्र सिंह ने कोर्ट में 11 गवाहों और मजबूत वैज्ञानिक साक्ष्यों को पेश किया। इन साक्ष्यों में डीएनए रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फोरेंसिक जांच रिपोर्ट शामिल थीं, जिन्होंने यह साबित किया कि नीलू ही इस अपराध का दोषी है।
न्यायाधीश भगीरथ वर्मा ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ (दुर्लभतम) श्रेणी में आता है, जिसमें समाज के लिए एक कड़ा संदेश देना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। कोर्ट के इस फैसले ने न सिर्फ पीड़ित परिवार को राहत दी है, बल्कि समाज में भी न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को मजबूत किया है।
फैसले के बाद, पीड़ित परिवार ने कोर्ट और पुलिस का आभार व्यक्त किया। 6 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, उन्हें आखिरकार अपनी बच्ची के लिए न्याय मिला है। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो मासूमों के खिलाफ ऐसे जघन्य अपराध करने की सोच रखते हैं।
