कुष्ठ रोग बना अटरिया माइनर का अवैध अतिक्रमण क्या नहर विभाग के उपचार कर्ताओं की नसों में ही दौड़ रहा सुविधा शुल्क रूपी जहर

ब्यूरो रिपोर्ट सीतापुर

अटरिया सीतापुर जनपद के सिधौली विकासखंड क्षेत्र के ​अटरिया माइनर नहर पर अवैध अतिक्रमण का “कुष्ठ रोग” लगातार फैलता जा रहा है, जिसने सिंचाई विभाग को अपंग बनाकर रख दिया है। इस माइनर के दोनों किनारों पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे हो चुके हैं, जिससे नहर की चौड़ाई सिमट गई है और किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

​स्थानीय किसानों का आरोप है कि इस अवैध कब्जे के पीछे नहर विभाग के कर्मचारियों का ही हाथ है। उनका कहना है कि विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी “सुविधा शुल्क” लेकर इस अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं। यह “भ्रष्टाचार का जहर” उनकी नसों में इस कदर दौड़ रहा है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को भूल चुके हैं।

​किसानों ने बताया कि कई बार शिकायत करने के बावजूद सिंचाई विभाग कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। विभाग के अधिकारी पैसों के आगे “विकलांग” साबित हो रहे हैं।

नहर की बदहाली के कारण फसल की सिंचाई के लिए किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी मेहनत और लागत दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।

​अगर इस समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो माइनर का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है, जिससे न केवल किसानों को नुकसान होगा, बल्कि सरकारी योजनाओं पर भी सवाल खड़ा होगा। किसानों ने प्रशासन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

​सिंचाई विभाग का दोहरा रवैया: नोटिस के बावजूद अटरिया माइनर पर अतिक्रमण बरकरार

​बता दे अटरिया माइनर पर अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई एक दिखावा मात्र साबित हो रही है। सिंचाई विभाग द्वारा लगभग एक महीने पहले दर्जनों अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नज़र नहीं आ रही। माइनर अभी भी अतिक्रमण की गिरफ्त में है, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली और नीयत पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

​एक दुकान पर ‘खास मेहरबानी’ और बाकी सब पर चुप्पी

​पूरे प्रकरण में सबसे चौंकाने वाला मामला एक फल विक्रेता का है। नोटिस जारी होने के बाद, विभाग ने केवल एक फल दुकानदार को माइनर के बीच से हटाकर उसी माइनर के दूसरे हिस्से में दुकान लगाने की छूट दे दी। यह कार्रवाई अतिक्रमण को खत्म करने के बजाय उसे सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने जैसा लगता है, जिससे आम जनता में गहरा आक्रोश है।

​सहायक अभियंता तरुण त्रिवेदी की देखरेख में हुई इस कार्रवाई ने ‘अतिक्रमण हटाओ अभियान’ की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

​’सुविधा शुल्क’ की अफवाहें और खोखले आश्वासन

​स्थानीय लोगों में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि विभाग के कुछ अधिकारी, विशेष रूप से जिलेदार, अतिक्रमण हटाने के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं। हालांकि, किसी भी व्यक्ति ने आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन एक महीने से चल रही इस धीमी कार्रवाई ने इन अफवाहों को और बल दिया है।

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