- आमजन को सीमित परिवार के बारे में जागरूक करने का लक्ष्य
सीतापुर। परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत मिशन परिवार विकास अभियान को सफल बनाने के लिए जिले में सारथी वाहन का संचालन शुरू हो गया है। सारथी वाहनों के संचालन में मिश्रिख, कसमंडा, पिसावां, पहला, महमूदाबाद और सिधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षकों ने पहल करते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में इन जागरूकता वाहनों का संचालन शुरू करा दिया है। जागरूकता वाहनों के संचालन का उद्देश्य जन समुदाय को सीमित परिवार के बारे में जागरुक करने के साथ परिवार कल्याण कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाना है। सभी सीएचसी अधीक्षकों ने अपने-अपने क्षेत्र के सारथी वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रबंधक जावेद खान ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को सभी सीएचसी पर खुशहाल परिवार दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर लक्षित दंपति की काउंसलिंग करते हुए उन्हें परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों की जानकारी दी गई। अस्थायी साधनों के लिए दंपति को बास्केट ऑफ च्वॉइस की जानकारी दी जाती है और इच्छुक दंपति को उनकी पसंद के अनुसार परिवार नियोजन के साधन दिए जाते हैं । उन्होंने बताया कि पुरुषों को नसबंदी की सेवा अपनाने पर 3,000 रुपये और ऑपरेशन के लिए प्रेरित करने वाले व्यक्ति को 400 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाती है। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बड़ा अहम रोल अदा कर सकती है।
इनसेट —
अपने हिसाब से चुनें विकल्प —
कसमंडा सीएचसी अधीक्षक डॉ. अरविंद बाजपेयी ने बताया कि परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों में अंतरा इंजेक्शन प्रति तीन माह के अंतर पर लगाया जाता है। इसे माहवारी आने के एक सप्ताह के अंदर और प्रसव के छह सप्ताह बाद ही लगाया जाता है। गर्भवती को यह इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि दो बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के लिए आईयूसीडी (इंट्रा यूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) महिलाओं के लिए काफी सुरक्षित मानी जाती है। यह महिलाओं के लिए एक असरदार व लंबी अवधि के लिये गर्भनिरोधक साधन है। यह दस साल और पांच साल के लिए प्रभावी होता है। इसे अपनाकर महिलाएं लंबे समय तक गर्भधारण से बच सकती हैं। वह जब चाहें इसे निकलवा भी सकती हैं। आईयूसीडी निकाले जाने के बाद महिला पुनः गर्भधारण कर सकती है। महिलाएं प्रसव के तुरंत बाद आईयूसीडी लगवा सकती हैं। इसे पोस्टपार्टम इंट्रायूटेराईन कोंट्रासेपटिव डिवाइस(पीपीआईयूसीडी) कहते हैं। इसके अलावा महिलाएं गर्भपात के तुरंत बाद या 12 दिन के अंदर कभी भी लगवा सकती हैं बशर्ते योनि में संक्रमण न हो। इसके साथ ही माहवारी शुरू होने के पहले दिन से 12 दिन के अंदर तथा असुरक्षित संबंध बनाने पर उसी दिन से लेकर पांच दिन के अंदर लगायी जा सकती है। यह आपातकालीन गर्भनिरोधक की तरह कार्य करती है।