– स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सीफार संस्था के सहयोग से आयोजित हुई कार्यशाला
– फाइलेरिया से जुड़ी भ्रांतियां, बीमारी के प्रबंधन व दवा के प्रति किया जागरूक
सीतापुर। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में हरगांव ब्लॉक के मंगरूआ गांव के पंचायत भवन में फाइलेरिया को लेकर एक दिवसीय रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता निवारीण (एमएमडीपी) कार्यशाला आयोजित हुई। सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में शिव शक्ति पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के दस नेटवर्क सदस्यों के साथ ही छह नॉन नेटवर्क सदस्यों और सात ग्रामीणों ने भी प्रतिभाग किया।
जिला मलेरिया अधिकारी राज कुमार सारस्वत ने बताया कि फाइलेरिया के लक्षण तुरंत नज़र नहीं आते हैं। इसके लक्षण आने में कई साल लग जाते हैं। इसलिए फाइलेरिया से बचाव ही इसका सफल उपचार है। इसके लिए जरूरी है कि आगामी अगस्त माह में चलने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए राउंड) में फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें। सहायक मलेरिया अधिकारी डॉ. अर्चना मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया रोगियों को शारीरिक व्यायाम, लेटने की स्थिति एमएमडीपी किट के प्रयोग और फाइलेरिया ग्रसित अंगों की किस तरह से साफ-सफाई करनी है। इस संबंध में उन्होंने व्यायाम करने, फाइलेरियाग्रस्त अंगों की साफ-सफाई करने के तरीकों को करके बताया। सहायक मलेरिया अधिकारी मंजूषा गुप्ता ने बताया कि यह लाइलाज बीमारी है, एक बार बीमारी हो जाने पर जिंदगी भर इसके साथ ही जीना पड़ता है। इसलिए फाइलेरिया के रोगी को हमें मानसिक संबल प्रदान करने की जरूरत है।
हरगांव सीएचसी के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी एके श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया से बचने के लिए दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन साल में एक बार जरूर करना है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोग शरीर के लटकने वाले अंगों हाथ, पैर, पुरुष जननांग और महिलाओं के स्तन में सूजन के रूप में को प्रभावित करता है। सीएचसी की डॉ. बुशरा वसीम ने बताया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की सफाई बेहद आवश्यक है। इस मौके पर फाइलेरिया मरीजों ने अपनी शंकाओं और जिज्ञासाओं को लेकर कई प्रश्न पूछे, विभागीय अधिकारियों ने उनके प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी समस्याओं का समाधान किया। कार्यशाला में मलेरिया निरीक्षक अंकित श्रीवास्तव सीएचसी की लैब टैक्नीशियन विनोद कुमार, आशा कार्यकर्ता शीबा परवीन, सीफार संस्था के जिला समंवयक आदिल हुसैन खान, सहायक जिला समंवयक मधुकर पांडेय, ब्लॉक समंवयक अंशू मिश्रा आदि ने प्रतिभाग किया।
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*क्या कहते हैं मरीज —*
पुष्पा देवी ने बताया कि जब से अपने गांव के मरीजों के समूह से जुड़ा हूं अपने अधिकारों की जानकारी हो रही है। इसके अलावा फाइलेरिया को लेकर नई-नई जानकारियां मिल रहीं हैं, जिससे फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल करने में आसानी रहती है। सिकंदर जहां ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित पैर की साफ-सफाई के बारे में जानकारी मिली है। डॉक्टर के बताए अनुसार रोजना दिन में दो बार अपने पैरों की सफाई करूंगी। सरवरी ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से बचने के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है। गंदी नालियों में जला हुआ मोबिल ऑयल डालकर मच्छरों से बचाव किया जा सकता है, इसकी जानकारी मुझे आज ही मिली है। अपने घर के सामने की नाली और जल भराव वाली जगहों पर ऐसा करूंगी। शादिया ने बताया कि मच्छरों से बचने के लिए घर के आसपास साफ सफाई रखनी है। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने हैं और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना है। इसकी जानकारी ट्रेनिंग में मिली, अब मैं ऐसा ही करूंगी।