जौनपुर,चौराहों पर अभय पुकारे चोर, चोर, चोर_शंभू शिखर के कविताओं ने खूब गुदगुदाया,तो योगेंद्र शर्मा ने भरा वीर रस

सुनाकर लोगों को भावुक कर दिया,

एल० सी० निषाद

सुजानगंज/ जौनपुर
क्षेत्र के राष्ट्रीय महाविद्यालय के परिसर में शनिवार की देर रात भगवान परशुराम की जयंती के अवसर पर काव्य कलश का आयोजन जन संवाद फाउंडेशन के चेयरमैन पंकज मिश्र के द्वारा किया गया। जिसमे युग कवि डा० कुमार विश्वास,वीर रस के कवि योगेन्द्र शर्मा,हास्य कवि शंभू शिखर के अतिरिक्त कवियित्री पद्मिनी शर्मा, दिव्यंम प्रिया, ने शानदार प्रस्तुति की।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां गंगा के आरती से हुआ, कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों में राज्य सभा सांसद सीमा द्विवेदी,पूर्व विधायक बाबा दुबे,संतोष पाण्डेय, लालबहादुर यादव , सपा जिलाध्यक्ष डा० अवधनाथ पाल आदि के कर कमलों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुवात की गई। सर्वप्रथम उरई से आई कवियित्री दिव्यम प्रिया ने सरस्वती बंदना प्रस्तुत की। उसके बाद हास्य और व्यंग कवि शंभू शिखर के बोल ने सभी को ठहाके मारने पर मजबूर कर दिया।उनकी कविता , लालू तुम्हे बिहारी न कर दे, बिहार की जानता तुम्हे भिखारी न कर दे,उत्तर प्रदेश जाना ट्रंप सोच समझकर योगी जी तुम्हे तुम्हे ट्रंप से तिवारी न कर दे,लोग हंसने पर मजबूर कर दिया, उनकी एक और एंटी रोमियो पर व्यंग कविता ,खुद से न पटी हमको भी पटाने नही देते, लोगो ने खूब सराहा।


मेवाड़ से आए वीर रस के कवि योगेन्द्र शर्मा ने अपनी कविताओं के माध्यम से लोगो में एक उत्साह भर दिया और उन्होंने जब वीर अब्दुल हमीद पर रचित कविता गमजदा धामपुर की धरती नदिया रो पड़ी।हर जवा बूढ़ी निगाहे हर गलियां रो पड़ीं ,ने लोगो में उत्साह भर दिया, और पूरा पंडाल भारत माता की जय से गूंज उठा।उनकी अन्य कविता ऐ राम के भक्तो तुम्हे ही राम बनना है, लोगो ने खूब सराहा।
मुस्कान प्रेम की हास्य कविता तुम कंप्यूटर युग की गोरी मन की काली तन की गोरी,किंचित अपने बाहों का गलहार नही दे पाऊंगा करना मुझको माफ मैं तुम्हे प्यार नही दे पाऊंगा ,पर पूरी जनता हस कर लोट पोट होने लगी।इसके बाद पद्मिनी शर्मा से भी भी अपने कविताओं से लोगो के मन को मोहा
अंत में कुमार विश्वास की तीखी व्यंगात्मक ,उपदेशात्मक कविता ने लोगो को तालिया बजाने पर मजबूर कर दिया।उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में जैसे ही
“किसी की मायूसी जहा से होकर गुजरी है”और “कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है ,मगर धरती की बेचैनी तो सिर्फ बादल समझता है “गाया लोगो ने उनके साथ गाना शुरू कर दिया। अंत में उन्होंने समाज के नेता और कुरीतियों पर व्यंग कविता “राजा अंधा हो जाए तो,सेवा धंधा हो जाए तो सच दिखलाने वाला खंबा ,छवि प्रबंधा हो जाए तो। को गाकर लोगो का मन मोह लिया।
पूरे कार्यक्रम का संचालन कुमार विश्वास ने किया ।इस मौके पर क्षेत्र के हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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