हरदोई, कायाकल्प की बाट जोह रहा प्राथमिक विद्यालय बड़ेरा

नौनिहाल झेल रहे अव्यवस्थाओं का दंश

हरदोई। परिषदीय विद्यालयों में बेहतर शैक्षणिक माहौल प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं व प्रयासों के बावजूद आज भी कई विद्यालयों की चमक फीकी बनी हुई है । ताजा मामला जनपद हरदोई के विकासखंड कोथावां क्षेत्र अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय बड़ेरा से प्रकाश में आया है जहाँ व्याप्त अव्यवस्थाओं की मार विद्यालय के नौनिहालों को झेलनी पड़ रही है । यह विद्यालय आज भी अपने कायाकल्प की बाट जोह रहा है ।

गाँव के ग्रामीणों का कहना है कि प्राथमिक विद्यालय बड़ेरा में पढ़ने वाले नौनिहाल बच्चों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। विद्यालय में शौचालय संचालित न होने की वजह से बच्चों को स्कूल छोड़कर घरों या खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है । विद्यालय के अध्यापक बच्चों को विद्यालय परिसर के कक्षों में ना बिठाकर स्कूल परिसर के बाहर प्रांगण में पेड़ों के नीचे बिठाकर पढ़ाते है। जिससे बच्चों का मन एकाग्र ना होकर इधर-उधर भटकता रहता है । वही विद्यालय में अभी तक टायलीकरण व इंटरलॉकिंग का कार्य भी नहीं हुआ है और ना ही विद्यालय परिसर में बच्चों के खेलने के लिए कोई खेल मैदान है।

विद्यालय के इंचार्ज नितेश कुमार ने बताया कि विद्यालय के कक्षों, शौचालय, मूत्रालय में टायलीकरण, विद्यालय परिसर में इंटरलॉकिंग व रसोई घर की मरम्मत करवाने योग्य है । विद्यालय परिसर में खेल मैदान का अभाव है । यह सभी जानकारी विभाग के संज्ञान में दी जा चुकी हैं। ग्राम प्रधान व उनके प्रतिनिधि को भी कायाकल्प के तहत होने वाले कार्यों के संदर्भ में अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है । इंचार्ज अध्यापक ने बताया कि बिजली ना होने पर विद्यालय कक्ष में अत्यधिक गर्मी होने की वजह से कभी कभार विद्यालय प्रांगण में लगे वृक्षों की छाया में बच्चों को बिठाकर शिक्षण कार्य किया जाता है । वहीं ग्राम प्रधान प्रतिनिधि वीरेंद्र मौर्य का कहना है विद्यालय का कायाकल्प किया जाना है इसके लिए आगामी सितंबर माह में कार्य योजना में भेजकर जल्द ही कायाकल्प किया जाएगा ।

फिलहाल कुछ भी हो लेकिन जिले के इस विद्यालय में व्याप्त मूलभूत सुविधाओं व अव्यवस्थाओं से एक बात तो साफ है कि बेसिक शिक्षा व पंचायतीराज विभाग के समन्वय से कायाकल्प के नाम पर कागजों पर करोड़ों का बजट खर्च किए जाने के बावजूद आज भी कई परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं, जिनकी काया धुंधली और बेजान पड़ी हुई है ।

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