30 जून तक चलेगा पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान
समुदाय की जागरूकता से जिले में छह माह तक के बच्चों को स्तनपान कराने की दर बढ़ी – जिला कार्यक्रम अधिकारी
इटावा 08,मई 2023 l
मां के दूध में नवजात के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक तत्व होते हैं। जिन शिशुओं को जन्म से कम से कम दो साल तक स्तनपान कराया जाता है वह अन्य शिशुओं की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं l इसी की अलख समुदाय में जगाने के लिए पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान चलाया जा रहा है l यह अभियान 1मई यानि सोमवार से शुभारंभ हो चुका है, जो 30 जून तक चलेगा यह कहना है ज़िला कार्यक्रम अधिकारी अजय कुमार का l
डीपीओ ने बताया कि बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार के तत्वावधान में यह अभियान समस्त कन्वर्जन विभागों, जनप्रतिनिधियों, डेवलपमेंट पार्टनर के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं को समुदाय में छह माह तक के बच्चों को केवल स्तनपान कराना सुनिश्चित करना है।
डीपीओ ने बताया कि छह माह से कम आयु के शिशुओं में मां के दूध के साथ-साथ पानी पिलाना केवल स्तनपान कि प्रमुख बाधाओं में से एक है। यह व्यवहार गर्मियों में बढ़ जाता है। इसलिए गर्मियों में शिशुओं के लिए केवल स्तनपान सुनिश्चित करने के लिए यह अभियान आयोजित किया जा रहा है। जिससे शिशुओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार हो सके।
डीपीओ ने बताया कि छह महीने तक सिर्फ स्तनपान बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को स्तनपान शुरू करा दिया जाए l
डीपीओ ने बताया कि स्तनपान न केवल बच्चों को स्वस्थ रखता है, बल्कि स्तनपान कराने वाली माताओं को भी कई बीमारियों का खतरा कम करता है, जैसे कि स्तन कैंसर, माताओं में डिम्बग्रंथि का कैंसर। मां और बच्चे के बीच आपसी प्यार बना रहता है। नियमित स्तनपान की अवधि के दौरान गर्भधारण की संभावना भी कम हो जाती है और मां भी स्वस्थ रहती है।
डीपीओ ने बताया कि अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सुपरवाइजर और सीडीपीओ को प्रशिक्षण दे दिया गया है साथ ही आज लगे ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवम पोषण दिवस पर अपने बच्चों को टीका लगवाने आई महिलाओं को स्तनपान के बारे में जागरुक किया गया l
डॉ भीमराव अंबेडकर चिकित्सालय महिला में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रतनलाल ने बताया कि बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू कर देना चाहिए। दूध में मौजूद एंटीबॉडी बच्चे को जीवन भर कई बीमारियों से बचाते हैं। पहले 6 महीने बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए और कुछ नहीं देना चाहिए। छह महीने के बाद मां को अपने दूध के साथ पूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए और 2 साल तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।
डॉ रतनलाल ने बताया कि बच्चे को अगर मां का दूध न पिलाया जाए तो वह अक्सर बीमार रहना शुरू कर देता है। उसका मानसिक व शारीरिक विकास रुक जाएगा। जो महिलाएं घर से बाहर काम के लिए जाती हैं, वे अक्सर बच्चे को डिब्बेवाला दूध देना शुरू कर देती हैं। यह फायदे के बजाय नुकसान ही करता है।
डॉ रतनलाल ने बताया कि कुछ महिलाएं नवजात को घुट्टी, शहद, गाय या बकरी आदि का दूध पिलाती हैं, जो कि बिल्कुल गलत है। मां का दूध ही बच्चे के लिए सबसे जरूरी होता है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019 21) के अनुसार जिले में छह माह तक के 71.1प्रतिशत बच्चों ने स्तनपान किया जो एनएफएचएस 4(2015- 16) के अनुसार 57.6प्रतिशत से अधिक हैl यह कहीं न कहीं लोगों में जागरूकता का ही परिणाम है जो लोगों ने स्तनपान के महत्व को समझा l