जिला हरदोई के ग्राम झौहाना में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस में असलापुर धाम से पधारें सुप्रसिद्ध कथावाचक परम पूज्य अनूप ठाकुर जी महाराज ने महाभारत के भीष्म की कथा सुनाई कहा कि पापी व्यक्ति का अन्न ग्रहण करने से बुद्धी नष्ट हो जाती है। उन्होंने बताया कि भीष्म पितामह जब बाणों की शैया पर लेटे हुए पांडवों को राजनीति का ज्ञान दे रहे थे कि राजा होते हुए प्रजा के कष्ट को अपना कष्ट मानना चाहिए इसी बीच द्रोपदी हंसने लगती है
अपने हंसने का कारण बताया कि मुझे हंसी इसलिए आई कि जिस समय भरी सभा में दुष्ट दुशासन मेरी साड़ी को खींच रहा था, उसी समय आप सबसे आगे बैठे हुए थे। मैंने आपसे प्रश्न किया कि पितामह किसी रजस्वला नारी को भरी सभा में इस प्रकार निर्वस्त्र करने का प्रयास किया न्याय विरुद्ध नहीं है तो भीष्म पितामह ने कहा मैंने दुष्ट दुर्योधन का दूषित भोजन ग्रहण किया था, उसी अन्न के प्रभाव से मेरी मति में विकृति उत्पन्न हो गई और मैं धर्म अधर्म का भेद जान नहीं पाया। यद्यपि मैंने अपने जीवन में कोई पाप नहीं किया केवल एक पाप मुझसे हुआ। मैंने मूर्छित सांप को कांटो भरी झाड़ियों में डाल दिया और उसी दोष के कारण मुझे बाणों की शैया मिली है।
जब तक दुष्ट दुर्योधन द्वारा खाए हुए अन्न का मेरे शरीर में रक्त रहेगा, तब तक में अपने प्राणों का त्याग नहीं करूंगा। भीष्म पितामह ने गोविंद के चरणों में ध्यान लगाते हुए उत्तरायण में अपने प्राणों का त्याग कर दिया एवं पितामह की अंतर ज्योति निकलकर श्री हरि गोविंद के चरणों में समाहित हो गई।
इसी के साथ व्यास अनूप ठाकुर ने कहा श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान का स्वरूप है। श्रीमद् भागवत साक्षात मोक्ष का साधन है। जब भगवान अपनी लीलाओं को करके गोलोकधाम को वापस जा रहे थे तो ऋषि मुनि महात्माओं ने भगवान से प्रार्थना की परमात्मा आप अपने धाम को जा रहे हैं और इधर कलयुग प्रारंभ हो रहा है। इसलिए हे परमात्मा कलयुग के प्राणियों के लिए मोक्ष का साधन आवश्यक रूप से निश्चित करके जाएं, तब परमात्मा श्री कृष्ण श्रीमद् भागवत महापुराण में समाहित हो गए। इस मौके पर परिक्षित मुन्ना सिंह भदौरिया, शिवम सिंह, श्याम सिंह, मुनू सिंह, धनपाल सिंह, रघुवीर सिंह, चन्द्रपाल, ईश्ताक, नईमअली आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें