आयकर विभाग द्वारा स्रोत पर आयकर की कटौती एवं संग्रहण विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
हरदोई। जनपद हरदोई के अंतर्गत आने वाली समस्त नगर पंचायतो एवं नगर पालिका परिषदों में आयकर कटौती को लेकर जागरूकता लाने के उद्देश्य से आयकर विभाग द्वारा आज हरदोई नगर पालिका प्रांगण में स्थित कमांड सेंटर सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस बैठक को सचिन कुमार, आयकर अधिकारी (टीडीएस), सीतापुर ने संबोधित किया। इस कार्यशाला में हरदोई की समस्त नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों के संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। इस संगोष्ठी के दौरान सचिन कुमार, आयकर अधिकारी (टीडीएस), सीतापुर, ने टीडीएस के प्रावधानों की जानकारी विस्तारपूर्वक दी। उन्होंने यह बताया कि नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों द्वारा भुगतान करते समय स्रोत पर आयकर कटौती नहीं की जा रही है। जानकारी आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि ठेकेदारों इत्यादि को एकमुश्त तीस हजार रुपये से अधिक देने पर या पूरे वित्तीय वर्ष में एक लाख रुपये से अधिक देने पर टी.डी.एस. कटौती का प्रावधान है। जिसके अनुपालन न होने की स्थिति में कटौती कर्ता के विरुद्ध पेनाल्टी का प्रावधान भी है। इसके अतिरिक्त यह भी देखने में आया है कि कुछ नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों के द्वारा टी. डी. एस. की कटौती तो की जाती है परन्तु टी.डी. एस. का स्टेटमेंट समय से नहीं फाइल किया जाता है या काटे गये कर की राशि को सरकारी खाते में जमा नहीं किया गया। उन्होने बताया कि कटौती की गयी राशि को अगले महीने की 07 तारीख तक उचित चालान द्वारा आयकर विभाग के खाते में जमा हो जाना चाहिए, यदि राशि 07 तारीख के बाद जमा होती है तो ब्याज देयता बन जाती है। प्रत्येक तिमाही के अंत में, उसके अगले महीने की आखिरी तारीख तक टी.डी.एस. का रिटर्न कटौतीकर्ता को कटौतियों का विवरण देते हुए ई-फाइलिंग द्वारा जमा करना होता है। ऐसा न करने की दशा में आयकर अधिनियम कि धारा 201 के तहत कटौतीकर्ता के विरुद्ध जुर्माना व व्याज देयता बनती है तथा धारा 234 के तहत 200 रुपये प्रति दिन के हिसाब से लेट फाइलिंग फीस की देयता बनती है जब तक कि टी.डी. एस. रिटर्न फाइल नहीं हो जाता। इसके अतिरिक्त संगोष्ठी में टी.डी.एस. से सम्बंधित विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की गयी। समस्त नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों के संबंधित अधिकारिओ से अपील की गई कि वे आयकर अधिनियम के कर कटौती संबंधी कायदे-कानून के तहत कार्य करते हुए भारत सरकार के राजस्व संग्रह में सहयोग करें। संगोष्ठी के अंत में आयकर अधिकरी ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि आयकर अधिनियमों का अनुपालन करना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है इसमें किसी भी लापरवाही होने पर जुर्माना/ब्याज के साथ-साथ अभियोजन की कार्यवाही भी की जा सकती है।