– नियमित व्यायाम व साफ-सफाई से फाइलेरिया ग्रस्त अंगों की कर रहे देखभाल
सीतापुर। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह जीवन के अंतिम समय तक साथ रहती है, लेकिन इसका बेहतर प्रबंधन किया जाए तो न केवल रोगी सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकता है बल्कि परिवार में खुशहाली भी लाई जा सकती है। इसके लिए फाइलेरिया मरीजों को स्वास्थय विभाग द्वारा रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता उपचार का प्रशिक्षण दिया जाता है और किट प्रदान की जाती है। इस प्रशिक्षण के दौरा न मरीजों को किट के जरिए मरीजों को फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के गुर सिखाये जाते हैं।
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*मरीजों की कहानी, उन्हीं की जुबानी —*
माहिमपुर गांव की निवासी और हरदेव बाबा फाइलेरिया रोगी सहायता समूह की सदस्य पूजा देवी का कहना है कि जैसा कि मुझे ट्रेनिंग में बताया गया था मैं उसी तरह से प्रतिदिन व्यायाम करती हूं और अपने पैर की सफाई भी रखती हूं। वह बताती हैं कि मेरे दाहिने पैर में 11-12 साल से फाइलेरिया है। नियमित व्यायाम का लाभ यह है कि पिछले साल मैं अपने पैर में जिस पायल को नहीं पहन पाती थी, उसे अब आसानी से पहन लेती हूं, और अपने घरेलू काम भी कर लेती हूं। जैतापुर गांव के निवासी और महादेव फाइलेरिया रोगी सहायता समूह के सदस्य ब्रजेश बताते हैं कि मैंने दो बार एमएमडीपी प्रशिक्षण लिया है। प्रशिक्षण के बाद बीते चार माह से मैं नियमित व्यायाम कर रहा हूं, जिससे मेरे पैर की सूजन लगभग खत्म हो गई है। इससे मैं खेती-किसानी संबंधी अपने काम आसानी से कर लेता हूं।फाइलेरिया रोगी सहायता समूह से जुड़ने और इस प्रशिक्षण के बाद मुझे पता चला कि पैर को लटका कर नहीं रखना है तब से मैं अपने पैर को लटका कर नहीं रखते हैं, कहीं बैठते हैं तो पैर को सामने किसी चीज पर या फिर पैर परपैर को ही रख लेते हैं। भदेवा गांव के निवासी और दीप फाइलेरिया रोगी सहायता समूह की सदस्य शिवरानी और अमरनाथ दुबे को दो बार एमएमडीपी प्रशिक्षण मिला है। शिवरानी बताती हैं कि नियमित व्यायाम करने से फाइलेरिया प्रभावित पैर की सूजन कम हुई है। जिससे मैैं अपने घरेलू काम आसानी से कर लेती हूं। अमरनाथ दुबे बताते हैं जैसा कि प्रशिक्षण में बताया गया था उसी के अनुसार पैर की सफाई करते हैं। प्रतिदिन साबुन से पैर धुलकर नरम तौलिया से सुखा लेते हैं। इसके साथ ही पैर को कभी लटकाकर नहीं रखते हैं, इस से मुझे काफी आराम भी मि रहा है और मैं अपने नियमित काम आसानी से करने लगा हूं।
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*क्या कहतें हैं अधीक्षक —*
सीएचसी अधीक्षक डॉ. नीतेश वर्मा ने बताया कि हरगांव सीएचसी पर बीते 13 जून को एवं विभिन्न गांवों में अलग-अलग समय पर में स्वयं सेवी संस्था पाथ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी प्रशिक्षण दिया गया है। इस प्रशिक्षण के बाद फाइलेरिया मरीजों द्वारा नियमित रूप से व्यायाम करने का सब से बड़ा लाभ यह हुआ है कि किसी भी मरीज को बीते 4-6 माह में कोई एक्यूट अटैक (फाइलेरिया अटैक) नहीं आया है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर हरगांव ब्लॉक के माहिमपुर, जैतापुर, भदेवा, शेखवापुर, नवीनगर, मुद्रासन, कोरैया, उदनापुर, चकजोशी, मंगरूआ, बरियाडीह, बुढ़ानपुर, तुर्तीपुर गांवों में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा फाइलेरिया मरीजों के सहायता समूहों का गठन किया गया है। इन गांवों के गंभीर मरीजों कोएमएमडीटी का प्रशिक्षण देकर किट भी प्रदान की गई है।