अटरिया, रावे कार्यक्रम के अंतर्गत किसान गोष्ठी आयोजित

(नरेश गुप्ता)

अटरिया सीतापुर, कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बरपुर, सीतापुर के तत्वाधान में केन्द्र के मार्गदर्शन में इंटीग्रल विश्वविद्यालय, लखनऊ में अध्ययनरत बीएससी (आनर्स) कृषि (चतुर्थ वर्ष) की छात्राओं के ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) कार्यक्रम के अन्तर्गत केन्द्र आज रामनगर एवं बाड़ी गांव में किसानों को तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने एवं उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करने एवं अपने सीखने के उद्देश्य से एक किसान गोष्ठी का आयोजन छात्राओं द्वारा किया गया।

गोष्ठी की शुरुआत में छात्रा ईशा रानी एवं अंकिता गौतम ने गोष्ठी में आए हुए अतिथियों, महिला एवं पुरूष किसान भाइयों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

तकनीकी सत्र में छात्राओं ने अपने द्वारा आवंटित गांव में किए गए कार्यों एवं किसानों की समस्याओं पर चर्चा की तथा ईशा रानी ने मिश्रित खेती, बहुस्तरीय खेती, आईं एफ एस माडल, फलों एवं सब्जियों की संरक्षित खेती, लक्ष्मी नंदा ने एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन, शशी पाण्डेय ने किसानों के हित में संचालित सरकारी योजनाओं, सौम्या मिश्रा ने प्राकृतिक खेती, तनिष्का गुप्ता ने वर्मी कम्पोस्ट खाद एवं अंकिता गौतम ने एकीकृत कृषि प्रणाली, आरज़ू खान ने सरकारी योजनाओं, आरज़ू फातिमा ने हरी खाद, अंशिका यादव ने केंचुआ खाद, इकरा नूर ने नैनो यूरिया, आस्मां आरिफ ने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा संचालित गतिविधियों, अलीशा ने मशरूम उत्पादन पर जानकारी प्रदान की।

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ0 विनोद कुमार सिंह ने मृदा स्वास्थ्य में गिरावट के कारण एवं उनके सुधारात्मक उपाय, फसलों की लागत कम करने, गुणवत्तायुक्त उत्पादन में वृद्धि एवं उचित मूल्य प्राप्त करने के तकनीकी बिंदुओं, पोषण गृह वाटिका, प्रधानमत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमत्री फसल बीमा योजना, एकीकृत कृषि प्रणाली पर चर्चा करते हुए अपने सम्बोधन में किसानों को सुझाव दिया कि यदि आप लोग खेती – किसानी के तकनीकी पहलुओं को ध्यानपूर्वक अपनाएंगे तो अवश्य ही फसलों की लागत में कमी आएगी तथा सही समय पर गतिविधियों को करने एवं उचित देखभाल करने पर गुणवत्ता युक्त उत्पादन में वृद्धि होगी जिसके फलस्वरूप बाजार में उसका उचित मूल्य प्राप्त होगा। यदि बाजार में हमें और अधिक मूल्य प्राप्त करना है तो फसल उत्पादों में मूल्य संवर्धन करना होगा। कृषि को उद्यम का रुप देने एवं टिकाऊ बनाने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाना आवश्यक है जिससे किसानों की आय तो दोगुनी होगी ही साथ ही साथ समय-समय पर धनार्जन होता रहेगा जिससे कभी भी धनाभाव का सामना नहीं करना होगा। डॉ0 सिंह गोष्ठी में छात्राओं द्वारा दी गई जानकारी की सराहना करते हुए कहा कि छात्राओं ने बहुत ही अच्छे तरीके से अपने आवंटित गांव वालों के साथ मिलकर जानकारियां हासिल की हैं तथा गोष्ठी में सभी पहलुओं पर विधिवत जानकारी प्रदान की है। यह गोष्ठी उनके सीखने के लिए ही आयोजित की गई थी जिससे उनमें भविष्य में कहीं भी सेवा क्षेत्र में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने व उनमें भाग लेने में कोई भी दिक्कत न हो और अच्छे तरीके से अपने कार्यों का निष्पादन कर सकें।

रिवान कला के प्रगतिशील किसान मुरली सिंह ने छात्राओं द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

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