अटरिया, छात्रों की जिदगी से खिलवाड़, अधूरे मानक पर दौड़ रहे स्कूली वाहन

रिपोर्ट, नरेश गुप्ता

बीते दिन थाने के सामने बच्चे ले जा रही स्कूली बस हुई दुर्घट ग्रस्त

अटरिया सीतापुर, स्कूली वाहनों की फीस इस बार फिर बढ़ा दी गई है। 25 रुपये प्रति छात्र तक अभिभावकों से वसूली हो रही है। इसके बावजूद स्कूली वाहनों में मानक अधूरे हैं। बसों समेत छोटे वाहनों में छात्रों की जिदगी से खिलवाड़ हो रहा है। अधिकतर स्कूल संचालकों ने स्कूली वाहनों की जिम्मेदारी थर्ड पार्टी को देखी है अधिकांस वाहन अधूरे पेपरों के बाद भी सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं जिनपर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है

जानकारी के अनुसार स्कूली वाहनों की फीस इस बार फिर बढ़ा दी गई है। 25 रुपये प्रति छात्र तक अभिभावकों से वसूली हो रही है। इसके बावजूद स्कूली वाहनों में मानक अधूरे हैं। बसों समेत छोटे वाहनों में छात्रों की जिदगी से खिलवाड़ हो रहा है। अधिकतर स्कूल संचालकों ने स्कूली वाहनों की जिम्मेदारी थर्ड पार्टी को देखी है।

क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थाओं में छात्र-छात्राओं को वाहनों से लाया और ले जाया जाता है। इनमें से अधिकतर पब्लिक स्कूलों में यह व्यवस्था है। एक स्कूल से कई स्कूली वाहन संचालित हैं। हैरत की बात यह कि स्थानीय पुलिस ही नहीं परिवहन विभाग भी इन स्कूली वाहनो की जांच या कार्यवाही नहीं करते जिससे यह बे रोक टोक सड़कों पर फर्राटे भरते हैं । ऐसे में अधिकतर स्कूली वाहन बगैर विभागीय रजिस्ट्रेशन के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनमें शासन की गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शहरी क्षेत्र में कई स्कूली बसें और छोटे वाहन ऐसे हैं, जिनमें न तो खिड़कियों पर जाली लगी है और न ही वाहनों के अंदर प्राथमिक उपचार पेटी व अग्निशमन यंत्र हैं। कई छोटे वाहनों में गैस किट तक लगी है। ऐसे स्कूली वाहनों में बच्चों को खतरा बना रहता है। दूसरी ओर कायदे-कानून का पाठ पढ़ाने वाले यातायात और परिवहन विभाग की ओर से भी लापरवाही बरती जा रही है। हादसा होने या छात्रों के साथ अप्रिय घटना होने पर ही स्कूल वाहनों की जांच-पड़ताल की जाती है।

अधिकारियों के अनुसार स्कूलों में संचालित वाहनों के क्या है नियम

  • स्कूली वाहनों की खिड़की पर जाली लगी हो और बैग रखने की व्यवस्था हो।
  • वाहन में प्राथमिक उपचार बाक्स के साथ अग्निशमन यंत्र अनिवार्य।
  • स्कूल वाहन पंजीकरण के दौरान ड्राइवर का पंजीकरण अनिवार्य।
  • ड्राइवर के पास पांच वर्ष पुराना ड्राइविग लाइसेंस होना चाहिए।
  • ड्राइवर के आपराधिक इतिहास की पुलिस जांच होनी चाहिए।
  • स्कूल की ओर से एक प्रतिनिधि बच्चों को लाने और वापस ले जाने के दौरान बस में रहेगा।
  • सभी स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर के साथ अलार्म अनिवार्य।
  • चालक निर्धारित गति सीमा से अधिक रफ्तार नहीं बढ़ाएंगे।

– वाहन से स्कूल आने-जाने वाले बच्चों की सूची चस्पा होगी।

अधूरे मानक के साथ दौड़ रहे स्कूल वाहन

जिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ताक पर हैं। स्कूल बसें आदेशों की धज्जियां उड़ाकर फर्राटा भर रही हैं। आलम यह है कि स्कूल बसों में जीपीएस डिवाइस तक नहीं है। वहीं खिड़िकयों पर सुरक्षा प्रबंध को लगाई जाने वाले रैलिंग भी नहीं हैं। इसके साथ ही कोहरे और सर्दियों को देखते हुए वाहनों में न तो फॉग लाइट और न ही खिड़कियों में शीशे लगे हैं। सुरक्षा उपायों की बात करें तो स्कूल के वाहनों में अग्निशमन यंत्र, हेल्पर तक नहीं हैं।

लगातार जिले में स्कूल बसों और वाहनों के हादसों के बाद भी स्कूल प्रबंधन चेत नहीं रहा है और न ही प्रशासन कोई कवायद कर रहा है। आलम यह है कि बसों मे ग्लोबल पॉजिशिनिंग सिस्टम(जीपीएस) तक नहीं है। खिड़कियों से रैलिंग और लोहे की रॉड गायब है। बच्चे जान को जोखिम में डालकर घर से स्कूल तक का सफर तय करते हैं। इसके अलावा प्राथमिक उपचार को लगाए जाने वाले बॉक्स भी नदारद रहते हैं। जिले में अधिकांस स्कूल बस में अग्निशमन यंत्र नहीं लगा है। इसके साथ ही बसों में बच्चों को उतारने और चढ़ाने के लिए हेल्पर भी नहीं हैं। ऐसे में हादसों को लेकर स्कूल संचालक अब तक चेतते नजर नहीं आ रहे हैं। साथ ही प्रशासन भी कोई कार्रवाई करता नजर नहीं आता है।

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