हरदोई, मुफ्ती शहादत हुसैन की सरबाही में जुलूस ए मुहम्मदी निकला

शाहाबाद(हरदोई)हर साल की तरह इस साल भी मदरसा अनवारे मुस्तफा से मुफ़्ती शहादत हुसैन की सरबराही में जुलूस ए मुहम्मदी निकाला गया । इस जुलूस में शहर की 30 अंजुमनों के छोटे छोटे जुलूस शामिल हुए ।जिनमे मोहल्ला सुलेमानी से अफसार हुसैन , दिलावरपुर से हाफिज तालिब , ताजपुरा से हाफिज तौहीद , महुआटोला से अनस , बुधबाजार से क़ारी नसरुल्ला , बुधबाजार से ही हाफ़िज़ औसाफ़ साबरी , खेड़ा बलाएकोट से मौलाना वसीम ,सलमान खां , खेड़ा बीबीज़इ से मौलाना कसीरउद्दीन , पक्काबाग से हाफ़िज़ मोहम्मद अली , गढ़ी से हाफिज ज़ीशान , महमंद से हाफ़िज़ ज़ीशान , बस स्टैंड मस्जिद से सय्यद अषिकुल क़ादरी , वाजिद खेल से मौलाना इक़्तेदार खां , अल्लाहपुर से मौलाना अब्दुल मुस्तफा , ख़लीलो से रिज़वान , गिगयानी से हाफिज इमरान , वगरैह की सरबराही में जुलूस मदरसे में आकर बड़े जुलूस में शामिल हुए ।


सरकार की आमद मरहबा , मदनी की आमद मरहबा , नारे तकबीर अल्लाह हु अकबर , नारे रिसालत या रसु लुल्लाह ,पत्ती पत्ती फूल फूल या रसूल या रसूल ,
की सदाओ की बीच
सुबह 9 बजे मदरसे से जुलूस निकाला जिसमे बच्चे , बूढे , और नौजवान कुर्ता पैजामा पहने सर पर टोपी लगाए अपने नबी की आमद की खुशी में जोश ओ खरोश के साथ नारे लगा के फ़ज़ा को मुअत्तर कर रहे थे । जुलूस बस स्टैंड से होता हुआ अल्लाहपुर तिराहे पहुंचा , तिराहे से नगरपालिका यहाँ वालदा शरीफ में ईदगाह के पूर्व अध्यक्ष मुहम्मद रईस खां वारसी ने चादर पेश की । नगर पालिका जे जुलूस जामा मस्जिस पहुंचा जहाँ मुफ़्ती शहादत हुसैन ने 30 मिनट तकरीर करते हुए जुलुस मे हाज़िर लोगो से खिताब करते हुए कहा कि आज से 1445 साल पहले अरब की सर ज़मीन पे अल्लाह ने अपने महबूब मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को पैदा फरमाया ।जिस बक्त आप की विलादत हुई अहले अरब गुमराही में ज़िन्दगी बसर कर रहे थे, जुआ ,शराब , बेटी को ज़िन्दा दफन करना , क़बीले बंदी , चोरी ,डकैती , आम थी ,
इसी फ़ितने और बुराई को मिटाने के लिये अल्लाह ने मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को अरब की सर ज़मीन पर पैदा फरमाया ।आप सारी दुनिया के लिए रहमत बन कर आए ,इसी लिए आप को राहमतुल लिलआलमीन भी कहा जाता है ,आप ने सारे आलम को मुहब्बत का पैगाम दिया ।
इस्लाम के माने शान्ति में दाखिल होने , इत्तेहाद , प्यार ,मुहब्बत के है ।
आज हमारे नबी की पैदाइश का दिन है इस लिए इस दिन को हम लोग ,ईद मिलादुन्नबी , के तौर पर मनाते हैं घरो में चरागां करते हैं मीठा पकवान बनाकर खुशी का इज़हार करते हैं , ये पूरा महीना जश्न ए ईद मिलादुन्नबी के नाम से मंसूब है इस माह मिलाद , जलसों का जगह जगह एहतिमाम किया जाता है ।ये महीना इस्लामी महीनों में तीसरा महीना है इस को रबीउल अव्वल कहा जाता है ।इसका दूसरा नाम माहे नूर भी है ।जबकि गलत परम्परा में इसको बारह बफात कहा जाता है जो कि गलत है ।
इमाम जामा मस्जिद मक़सूद हुसैन ने भी खिताब किया ।
कमेटी की जानिब से रईस खां वारसी , मास्टर इज़हार खां , मोहम्मद वली पीरा , पुतान खां , आकिल मेम्बर , वगैरह ने जुलूस की ज़िम्मेदारी निभाई ।

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